नंदकुमार साय को थी ‘राज्यपाल पद’ की लालसा! इस्तीफे के बाद भी BJP ने नही किया संपर्क, साय ने बताई अपनी व्यथा

रायपुर…भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस जॉइन करने वाले आदिवासी नेता नंदकुमार साय हर तरफ सुर्खियों में बने हुए हैं। 45 साल भाजपा में राज करने के बाद आखिरकार साय ने मंगलवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया। साय पत्रकारों से खुल कर चर्चा कर रहे हैं। पिछले पार्टी में हुए गीले शिकवे को खुल कर बता रहे कि, किस तरह से उन्हें पार्टी ने नजरअंदाज किया और जब साय ने इस्तीफा दिया तो भाजपा ने संपर्क करने की कोशिश भी नही की। लेकिन इधर, नंदकुमार साय के इस्तीफे पत्र के बाद बीजेपी में खलबली जरूर मच गई हैं। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा भी था कि, वे नंदकुमार साय की नाराजगी दूर करेंगे। एक अफवाह ऐसी भी थी कि साय राज्यपाल पद की डिमांड कर रहे थे। इसे लेकर नंदकुमार साय ने क्या कहा आइये आपको बताते हैं।

कांग्रेस नेता बनने के बाद पहली बार नंदकुमार साय अपने देवेंद्र नगर स्थित निवास पहुँचे। कार्यकर्ताओं ने गाजे बाजे के साथ उनका भव्य स्वागत किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में समर्थक उपस्थित रहे। निवास पहुंचते ही नंदकुमार साय ने प्रेस वार्ता ली और कहा कि, कुछ वर्षो से मुझे ऐसा लगा के भारतीय जनता पार्टी कमजोर होने लगी, मैं भारतीय जनता पार्टी निरंतर मजबूत रहे, यह मेरी कोशिश रही, पहले मैं मध्यप्रदेश का अध्यक्ष था, कई कारण होते है, चुनाव बड़ा महत्वपूर्ण रहता है, भाजपा के कार्यकर्ता नाराज लगे, कार्यसामिति का सामान्य सदस्य था, मैं चिंतित होता रहा, एक बार मैने यह प्रेस वार्ता कर बताया था। पुराने नए सभी लोगो को आगे बढ़ने कि ओर अग्रसर करे, पार्टी कि स्थिति भी स्वरूप थी अब नही रहा, भाजपा में हमारी भूमिका कमजोर है।

मुझे ऐसा लगा, सक्रियता कि दृष्टि से तमाम लोग नए थे, मैं केंद्र को भी निर्देशित किया, मैं मिलने कि कोशिश भी किया, मिलना नही हो पाया, कभी कोई बात नही हुई, कोई चर्चा नही हुई, पार्टी कमजोर हुई मुझे ऐसा लगा, अंत में मेने यह निर्णय किया और लिखित में रिजाइन दिया, कागज के किया, पर किसी ने कुछ पूछा नही, विषय भी बता दिया, उसके बाद भी कोई बात सामने नही आई, पार्टी में बहुत समय हमने कार्य किया, हमने ये लिखा भी था, पार्टी के सगठनों में मेने बहुत समय तक काम किया, सारी गतिविधियों के चलते मेने पार्टी छोड़ दिया, हमारी वहा चिट्ठी गई, कोई तब्वजू नही मिला, कोई जवाब नही आया, ओम माथुर से हमारा संपर्क नही हो पाया, किसी ने हमसे बात किया ही नही, केंद्र से यहा से किसी से कोई रिप्लाई नही आया, सभी संपर्क करने की कोशिश कि गई, हम लगभग एक सामान्य सदस्य रहे, राज्यपाल की मेरी शुरू से ही इच्छा नही थी, बाते उछलती रही होगी, ऐसा बोला जा रहा था, मुझे भाजपा पार्टी से दबाव देने वाला कोई बड़ा दबाव नहीं है, बेटी को लेकर भी कोई किसी बात को लेकर कोई बात नही, कोई दबाव नही था। सभी बाते भ्रामक है।

नरवा, गरवा, घुरावा, बाड़ी जमीन पर भी दिखे ये कहा है, कोशल्या माता का घर पूरे देश में दिखे, किसी को बुलाने का काम नही है, आने वाले खुद आ जाए, जाने वाले चले जाए, किसी ने संपर्क करने कि कोशिश नही की। दल भारतीय जनता पार्टी हमारा पुराना दल है, मेरी सलाह है वो और ताकतवर बने, लोक तंत्र तभी मजबूर रहता है। तभी दल मजबूत होगा, भाजपा मैं धन्यवाद करता हु और आप लोग पार्टी को मजबूत बनाए, विरोधी दल को मजबूत करे, मेरा काम यह रहेगा पार्टी ठीक काम करे, गरीबी बहुत है इसको ठीक करे, इनको उठाने का काम करे, चुनाव सामने आएगा, कॉग्रेस जीते ये हमारी कोशिश रहेगी, बाकी फेसला जनता करेगी, इस समाज को शिक्षित करने में स्वच्छ बनाने में लगे, ये हमारी प्राथमिकता रहेगी, डिलिस्टिंग जो स्थिति में पहले थी, जो अपने धर्म से विचलित हो गया हो, उसे डिलिस्टिंग किया जाए। आरक्षण को लेकर कहा- 58 प्रतिशत का निर्णय जो आया हैं। वो ठीक दिशा में है, आरक्षण सही दिशा में जाए।