आरोप-प्रत्यारोप. सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई और सजा सुनाने के 10 मिनिट बाद ही राहुल गांधी को जमानत मिल गयी। राहुल गांधी पर सूरत कोर्ट के आये फ़ैसले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कोर्ट का फ़ैसला सबके सामने हैं। इस पर ज़मानत ले ली गई है। आगे लड़ाई लड़ी जाएगी। राजनीतिक विचारधारा अलग अलग हो सकती है। लेकिन, आज राजनीतिक में राजनीतिक शुचिता ख़त्म हो गई है। बीजेपी के लोग राहुल गांधी को मीर जाफ़र तक कहा। व्यक्तिगत रूप से राजनीति में एक दूसरे का सम्मान ख़त्म हो गया है। पिछले दशकों में हम देखेंगे तो चाहे कांग्रेस के नेता हो या बीजेपी के नेता या समाजवादी पार्टी के नेता एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखते थे। लड़ाई विचारधारा की होती थी।
अटल जी की तबियत जब ख़राब हुई थी तब विपक्ष में रहते हुए भी उन्हें एक प्रतिनिधिमंडल में शामिल कर इलाज के लिये अमेरिका भेजा गया था। प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के लिए कैसे कैसे शब्दों का प्रयोग करते रहे हैं। राजनीतिक शूचिता ख़त्म करने का काम बीजेपी करती रही है। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी से बीजेपी भयभीत है। राहुल गांधी से बीजेपी डरी हुई है। बीजेपी विचलित है, ये किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि सत्ताधारी दल लोकसभा राज्यसभा चलने नहीं दे रही है। संस्थाओं को डराने और दबाने का काम केंद्र सरकार कर रही है। जो उनके खिलाफ कहेंगे, लिखेंगे उनके खिलाफ सेंट्रल एजेंसी भेजने की बात की जाती है।
राहुल गांधी पर सूरत कोर्ट के फ़ैसले पर बोले पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह.- क़ानून से बड़ा कोई नहीं, कोई अपने आप को क़ानून से बड़ा समझता है। इसका मतलब है कि वह संविधान को नहीं मानता हैं। प्रधानमंत्री का पद देश की गरिमा बढ़ाने वाला पद है और इस पद पर कोई टिप्पणी करेगा तो मानहानि का केस चलेगा ही। मोदी पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर सूरत कोर्ट का फ़ैसला सबक सिखाने वाला है। ये फ़ैसला नज़ीर बनेगा कि राजनीतिक शुचिता कैसे होनी चाहिए। जब कमेंट होता है। प्रधानमंत्री पद की गरिमा खंडित की जाती है। ऐसे में बीजेपी राहुल गांधी से क्यों डरेगी? राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस का सफ़ाया हो चुका है।