- राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल में उत्पादों, कृषकों व खरीददारों की फोटो भी डाला जाये- बृजमोहन अग्रवाल
- नई दिल्ली में एग्री-मार्केटिंग सेक्टर रिफार्म विषय पर आयोजित
- बैठक में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री बृजमोहन हुए शामिल
नई दिल्ली
छत्तीसगढ के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल पर सुझाव देते हुए कहा कि ई-पोर्टल में उत्पादों, किसानों, खरीदारों की फोटो डाले जाने का भी प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रावधान बनाये जाने चाहिए कि, जिस समय किसानों को अपने उत्पाद का अच्छा मूल्य मिल रहा हो वह उसे उस समय उत्पाद को बाजार में बेच सके। श्री अग्रवाल ने एक देश – एक बाजार के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल विकसित कराये जाने का स्वागत करते हुए कहा कि यह किसानों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की मंशानुरूप किसानों की आय दुगनी किये जाने की दिशा में एक अच्छा कदम है। वे आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एग्री-मार्केटिंग रिफार्म विषय पर आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने की। बैठक में राज्यों के कृषि मंत्री सहित छत्तीसगढ़ के अपर मुख्य सचिव कृषि अजय सिंह भी उपस्थित थे।
श्री अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल के माध्यम से देश एवं प्रदेश के किसान अपने उत्पाद को एक ही जगह बैठकर वह अपने उत्पादों को खरीद व बेच सकता है। इससे जहां विक्रेता को उसकी उपज का अधिक मूल्य प्राप्त होगा वहीं क्रेता व्यापारी को भी अपनी आवश्यकता अनुसार अधिसूचित कृषि उपज प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल पर प्रदेश की 14 मंडियों को जोड़ा गया है। राज्य में ई-नाम प्लेटफार्म पर कृषि उपज का क्रय-विक्रय प्रारंभ हो चुका है। राष्ट्रीय कृषि बजार पोर्टल में कृषि उत्पादों के खरीदने -बेचने में किसानों को होने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए श्री अ्रग्रवाल ने कहा कि, ई-नेम पोर्टल पर कृषि उपज के क्रय-विक्रय पर अधिक समय लगता है। इस समय को कम किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पहले किसानों को मंडी टेक्स को 14 दिन के अंदर जमा करने का समय दिया गया था । परन्तु किसानों को अब इस कर को तत्काल जमा करना होता है जो कि उनके लिए एक परेशानी का भी कारण बनता है। उन्होंने ई-नाम पोर्टल में उत्पादों के भार को भी दर्ज करने महत्वपूर्ण सुझाव दिया।
श्री अग्रवाल ने कहा कि, छत्तीसगढ़ का अधिकांश भू-भाग ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां की स्थानीय परिस्थितियों एवं उपज की उपलब्धता के आधार पर अर्थिक रूप से कम सम्पन्न कम शिक्षित व्यक्ति भी ट्रेडिंग लायसेंस प्राप्त कर कृषि उपजों के विपणन कार्य में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर से ट्रेडिंग लायसेंस का प्रावधान निर्धारित होने के स्थान पर मंडी समिति स्तर से ट्रेडिंग लायसेंस का प्रावधान ज्यादा व्यवहारिक प्रणाली है। जो कि मंडी समिति एवं व्यापारी दोने के लिए समान रूप से सुविधाजनक है। श्री अग्रवाल ने बताया कि,छत्तीसगढ़ की मुख्य उपज धान के या उसके प्रसंस्कृत चावल के विक्रय पर कोई प्रतिबंधात्मक प्रावधान मॉडल अधिनियम में नही है। उन्होंने कहा कि, वर्तमान में अन्य राज्य के व्यापारियों द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश के भीतर से किसी अधिसूचित कृषि उपज के उत्पाद कृषकों से सीधे क्रय किये जाने की सुविधा अपेक्षित प्रतीत नही होती है। श्री अग्रवाल ने राज्य में किसानों के लिए उपलब्ध कराये गये उपभोक्ता बाजार, भण्डारण, हाट -बाजारों के विकास, एग्री बिजनेस, गौ-उत्पाद, जैविक उत्पाद विपणन की व्यवस्था के संबंध में भी विस्तार से बैठक में जानकारी दी।