फटाफट डेस्क. भारत में संघीय संरचना होने के कारण केंद्र और राज्यों के बीच विभिन्न करों और उनके उत्तरदायित्वों को अलग अलग बांटा गया है ताकि किसी तरह का कोई गतिरोध उत्पन्न ना हो. लेकिन फिर भी केंद्र सरकार के पास कर लगाने और उसे वसूलने के अधिक साधन हैं जबकि राज्यों की आय के साधन सीमित हैं और उत्तरदायित्वों की विशाल श्रंखला है. इसी कारण राज्यों को अपने यहाँ का प्रशासन चलाने के लिए या तो केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर स्वयं कर इकठ्ठा करने के उपाय सर्च करने होते हैं.
इन्हीं उपायों में एक सबसे बड़ा उपाय है शराब और अन्य मादक पदार्थों पर लगाया जाने वाला कर. चूंकि पूरे देश में आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प हैं और राज्यों को अपना खर्च चलाने के लिए वित्तीय साधन जुटाने पड़ रहे हैं, इसलिए शराब की बिक्री शुरू करना राज्यों की मजबूरी है.
भारत में शराब पीने वालों की स्थिति..
AIIMS की 2019 की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में लगभग 5.7 करोड़ शराब पीने के आदी लोग हैं. जिसके परिणाम भयंकर होते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार,वर्ष 2018 में भारत में लगभग 2.60 लाख लोगों की मौत इसी शराब के कारण हो गयी थी.
शराब पर उत्पाद शुल्क से राज्य सरकारें कितना कमाती हैं?
अगर सबसे ज्यादा एक्साइज ड्यूटी पाने वाले टॉप 5 राज्यों की बात करें तो 2019-20 में यूपी के खजाने में 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जुड़े. साल भर पहले यह आंकड़ा करीब 25 हजार करोड़ था. दूसरे नंबर पर करीब 21 हजार करोड़ के साथ कर्नाटक रहा. तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र रहा जिसने 17 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की. चौथे पायदान पर पश्चिम बंगाल करीब 12 हजार करोड़ रुपये के साथ रहा. तेलंगाना पांचवें स्थान पर था, जिसने एक्साइज ड्यूटी के तौर पर करीब 11 हजार करोड़ रुपये जुटाए.
छत्तीसगढ़ को शराब से कितना राजस्व?
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है. शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं. छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से प्राप्त राजस्व के आंकड़ों पर अगर नजर डाला जाए तो जनवरी 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से लगभग 4092 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है. जिसे अगर जनसंख्या के हिसाब से अन्य राज्यों के साथ आंका जाए तो यह आंकड़े बहुत अधिक मालूम होते हैं. छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है.
निष्कर्ष..
आपने उपर्युक्त आंकड़ों से जाना कि शराब बिक्री से राज्यों को कितना अधिक राजस्व प्राप्त होता है. यह राजस्व अन्य माध्यमों से प्राप्त राजस्व से कहीं अधिक होता है. जिस कारण राज्य शराब बिक्री पर इतना अधिक बल देते हैं. हालांकि अन्य माध्यमों से भी राज्यों को राजस्व प्राप्त होता है. मगर कई ऐसे राज्य है जहां अन्य माध्यम शराब बिक्री की तुलना में कम है. छत्तीसगढ़ में इस वर्ष राज्य को खनिज से लगभग 6000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ था. वहीं शराब बिक्री से 4000 करोड़ के लगभग राजस्व प्राप्त हुआ जो कि अन्य माध्यमों की तुलना में कहीं अधिक है. यही वजह है कि राज्य शराब पर पाबंदी नहीं लगाती.