जम्मू। कोरोना महामारी के मद्देनजर आगामी वार्षिक अमरनाथ यात्रा को ‘सीमित तरीके’ से आयोजित करने पर जोर देते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कहा कि सड़क मार्ग से 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा जाने के लिए रोजाना सिर्फ 500 यात्रियों को अनुमति दी जाएगी। प्रशासन ने यह भी कहा कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर भी केंद्र शासित क्षेत्र में प्रवेश के दौरान की जाने वाली जांच की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू होगी. सुबह 7:30 से 8:20 बजे तक श्रावण मास में बाबा बर्फानी भोलेनाथ की आरती होगी. श्री अमरनाथ धाम से इसका सीधा प्रसारण होगा.
मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा, ‘इस साल यात्रा सीमित तरीके से की जाएगी, जिससे यात्रा के दौरान कोविड-19 संबंधी मानक संचालन प्रक्रियाओं का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित हो सके. जम्मू से सड़क मार्ग से रोजाना अधिकतम 500 यात्रियों को ही जाने की अनुमति होगी.’ वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा यहां यात्रा के लिये गठित उप-समित की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा समेत अन्य प्रबंधों की समीक्षा की.
दो रास्तों अनंतनाग के पहलगाम और गंदेरबल के बालटाल से 42 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 23 जून से शुरू होने वाली थी, लेकिन महामारी की वजह से इसमें विलंब हुआ। सूत्रों के मुताबिक श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (SASB) जुलाई के आखिरी हफ्ते में इस यात्रा को 15 दिन की संक्षिप्त अवधि के लिए संचालित करने की योजना बना रहा है। ‘यात्रा 2020’ की तैयारियों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत गठित की गई राज्य कार्यकारी समिति ने मानक संचालन प्रक्रियाएं जारी की हैं और इसके तहत जम्मू-कश्मीर आने वाले शत प्रतिशत लोगों के लिए आरटीपीसीआर जांच की जानी है।
उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में आने वाले सभी लोगों के नमूने लेकर जांच की जाएगी और जब तक उनकी रिपोर्ट में संक्रमण नहीं मिलने की पुष्टि नहीं हो जाती तब तक वे क्वारंटाइन में रहेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व में यात्रियों के लिये शिविर के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सुविधाएं फिलहाल पृथक-वास सुविधाओं के तौर पर इस्तेमाल की जा रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति की जांच का एसओपी यात्रियों पर भी लागू होगा।