यहां आज भी लगता हैं मंगोड़े का भोग, अटल बिहारी बाजपेयी का क्या था मंगोड़े से कनेक्शन, जानिए

नई दिल्ली. ऐसे तो हम भगवान को तरह तरह के पकवान के भोग लगाते हैं, 56 भोग लगाते हैं, लेकिन एक जगह आज ऐसा नहीं हैं. जहां मंगोड़े का भोग लगता हैं. वो भी भगवान को नही बल्कि अटल बिहारी बाजपेयी को. आज अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती हैं और आज के इस खास अवसर पर हम आपको उस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां अटल बिहारी बाजपेयी को मंगोड़े के पहले घाने का भोग लगता हैं.

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इस दुनिया में अब न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हैं और न ही लकड़ी के चूल्हे पर मंगोड़े बनाने वाली अटलजी की मुंहबोली चाची रामदेवी, पर आज भी फुटपाथ पर लगने वाली चाची की दुकान पर मंगोड़े का पहला घान भारत रत्न अटलजी को समर्पित होता है. रामदेवी जी का बेटा रामसिंह चौहान पहले घान से पहले अटलजी, फिर अपनी मां को भोग लगाता है. यह सिलसिला अटल जी के गुजर जाने के बाद से लगातार जारी है. आज भी यह परिवार अटलजी की स्मृतियों को संजोकर रखे हुए है.

भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई देश के बड़े शिखर पर पहुंचे और देश के अलावा दुनिया में भी उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई, लेकिन इसके बावजूद उनका अपनी जन्मभूमि ग्वालियर से बहुत ही गहरा लगाव रहा. तो वही शहर के खानपान के वह बेहद शौकीन थे. अटल जी के पसंदीदा जायकों में से एक स्वाद दौलतगंज के अग्रसेन पार्क के बाहर फुटपाथ पर दुकान चलाने वाली चाची के मंगोडे का भी था. अटल जी की जुबान पर चाची के मंगोडो का स्वाद ऐसा चढ़ा, कि वह अक्सर यहां मंगोड़े खाने आया करते थे और बाद में जब वह प्रधानमंत्री बने तो उनका कोई स्वजन या कार्यकर्ता जब भी उनसे मिलने दिल्ली जाया करता था. तो वह चाची के मंगोड़े ले जाना नहीं भूलता था. ग्वालियर से मंगोड़ो का दिल्ली जाने का यह सिलसिला अटल जी के प्रधानमंत्री रहते हुए काफी लंबे समय तक चलता रहा.

खास बात यह है कि जब भी इस दुकान में मंगोडो का पहला घान बनाया जाता है. तो सबसे पहले इस दुकान पर लगी अटल जी की तस्वीर पर उन मंगोडो का भोग लगाया जाता है. जिसके बाद किसी अन्य ग्राहक को यह मंगोड़े दिए जाते हैं, हालांकि समय के साथ ग्वालियर के सपूत पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई हमारे बीच नहीं रहे और मंगोडे वाली चाची रामदेवी चौहान भी अब इस दुनिया में नहीं रही. अब उनके बेटे रामसिंह चौहान दुकान चलाते हैं, लेकिन अटल जी गुजर जाने के बाद से मंगोडो का भोग लगाने की जो परंपरा शुरू हुई वह आज भी जारी है.

मंगोडे की इस दुकान पर अटल जी के चाहने वाले और स्वाद के दीवाने ग्वालियर के अलावा दिल्ली, मुंबई अन्य राज्यों से खिंचे चले आते हैं, और दौलतगंज में इन मंगोड़ों का स्वाद लेते हैं और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी को याद करते हैं.