दिल्ली में मुख्य सचिव के पद पर तैनाती को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच एक सप्ताह से चल रहा टकराव कम होता नहीं दिख रहा है। दिल्ली सरकार की मांग पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव रमेश नेगी पर केन्द्र सरकार के सहमत नहीं होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्रालय द्वारा सुझाए गए पैनल को ठुकरा दिया है। रविवार को केजरीवाल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है।
केजरीवाल के पत्र से साफ हो गया है कि इस मामले में पैदा हुआ टकराव लंबा खिंचना तय है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि केजरीवाल सरकार इस मामले गृह मंत्रालय की मर्जी से मुख्य सचिव की तैनाती पर समझौता नहीं करेगी। गृह मंत्री से पूछे सवाल- केजरीवाल ने राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में लिखा है कि गृह मंत्रालय ने नेगी को मुख्य सचिव बनाने की मांग को स्वीकार करने में असमर्थता जताई है। जबकि इसके जवाब में कोई सार्थक कारण नहीं बताए गए हैं।
केजरीवाल ने सिंह से पूछा कि आपसे मुलाकात के समय भी मैने अनुरोध किया था कि अगर नेगी को अरुणाचल प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया जा सकता है तो दिल्ली का क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने नेगी की वरिष्ठता और वेतनमान को उनकी नियुक्ति की राह का रोडम बताया है। जबकि एक जायज सवाल यह उठता है कि वरिष्ठता क्र म में 14 वें पायदान पर होने और कम वेतनमान के बाद भी अगर उनकी तैनाती अरुणाचल प्रदेश में हो सकती है तो उसी पद पर दिल्ली में क्यों नहीं हो सकती।
केजरीवाल ने पूछा कि एक ही अधिकारी के लिए समान पद पर तैनाती को लेकर अलग नियम कैसे हो सकते हैं। खासकर तब जबकि दिल्ली सरकार उनकी नियुक्ति नहीं बल्कि स्थानांतरण का अनुरोध कर रही है। उन्होंने पूछा है कि क्या ऐतिहासिक जनादेश के साथ चुनी गई दिल्ली सरकार को शासन चलाने के लिए अधिकारी मांगने का हक नहीं है। केजरीवाले ने इस मसले पर केन्द्र सरकार के रवैये पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सरकार को हर कदम पर सहयोग का वादा करने के बाद गृह मंत्रालय के इस रवैये से मुझे बेहद निराशा हुई।