स्विस बैंकों में रखे भारतीयों के कालेधन पर जारी चर्चा के बीच स्विट्जरलैंड की ओर से एक अहम खुलासा किया गया है। स्विस अधिकारियों ने बताया है कि उनके देश में बड़ी मात्रा में नकली भारतीय नोट पकड़े जाते हैं। यूरो और अमेरिकी डॉलर के बाद फर्जी विदेशी मुद्रा के मामले में रुपया तीसरे नंबर पर है। स्विट्जरलैंड पर कालेधन की जांच को लेकर बढ़ाए जा रहे दबाव के बीच भारतीय अधिकारियों को इन मुद्दों पर आगे विचार विमर्श के लिए बर्न में बातचीत का न्योता भी दिया गया है।
स्विट्जरलैंड के फेडरल ऑफिस ऑफ पुलिस (फेडपोल) की ओर से फर्जी विदेशी मुद्रा पर रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक, 2013 में 403 जाली भारतीय नोट पकड़े गए। इनमें 380 नोट 500 रुपये के थे, जबकि 23 नोट 1000 रुपये वाले। इसी अवधि में पकड़े गए नकली यूरो की संख्या 2,394 रही। वहीं, ऐसे 1,101 अमेरिकी डॉलर सामने आए। वैसे, 2012 की तुलना में नकली भारतीय नोटों की संख्या में कमी आई है। तब 2,624 फर्जी नोट स्विस अधिकारियों के सामने आए थे। भारत सरकार भी नकली भारतीय मुद्रा की समस्या से दो-चार होती रही है। इस पर अंकुश लगाने के लिए उसकी ओर से कोशिशें जारी हैं।
जाली नोटों पर आई इस रिपोर्ट के बीच स्विट्जरलैंड में वित्त विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत सरकार को लिखा गया है कि स्विस सरकार भारत से प्रशासनिक अधिकारियों को बर्न में कर मामलों पर पूर्ण सहयोग के लिए विचार विमर्श का न्योता देती है। इससे पहले दोनों देशों के बीच फरवरी, 2014 में बातचीत हुई थी। पहले ही भारत को कुछ सकारात्मक जबाव भेजे गए हैं। हालांकि, प्रवक्ता ने इससे अधिक ब्योरा देने से मना कर दिया।
कई बार किया गया अनुरोध
सूत्रों की मानें तो ये जवाब स्विस बैंक खातों की उस सूची में शामिल भारतीय नामों से संबंधित नहीं हैं जिसे चुरा लिया गया था। तमाम अनुरोध के बाद भी स्विट्जरलैंड भारत को इस सूची के आधार पर भारतीयों के नाम बताने से इन्कार करता रहा है। उसकी दलील है कि गैरकानूनी तरीके से हासिल किसी जानकारी के आधार पर वह कोई ब्योरा नहीं दे सकता।
अधिकारी ने यह बताने से भी इन्कार किया कि भारत की ओर से कितने आग्रह मिले और स्विट्जरलैंड ने उनमें में कितने का जवाब दिया। ताजा आंकड़ों के अनुसार, स्विस संघीय कर प्रशासन को 2013 के दौरान 1,386 आग्रह मिले। यह आंकड़ा 2012 में 1,499 था। इससे पहले 2011 में स्विस अधिकारियों को 370 आग्रह मिले थे।