भोपाल.. मध्यप्रदेश में 15 सालों से चली आ रही बीजेपी शासन के खत्म होने के बाद. हाल ही में बनी कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के वंदे मातरम गाने पर रोक लगा दी है सरकार ने यह फैसला लिया है कि हर महीने की 1 तारीख को राज्य सचिवालय में वंदे मातरम नहीं गाया जाएगा…
नए मुख्य सचिव एसआर मोहंती के पदभार ग्रहण के साथ कर्मचारियों को उम्मीद थी कि मुख्य मंत्री कमलनाथ वंदे मातरम में मौजूद हो सकते हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और पहली बार मंत्रालय में महीने की 1 तारीख को वंदे मातरम नहीं गाया गया…
वहीं बीजेपी ने कांग्रेस सरकार के इस फ़ैसले पर निशाना साधते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार के राज में सरकारी कर्मचारियों के वंदे मातरम गाने पर रोक लगा दी गई है. यही वजह रही कि हर महीने के पहले कामकाजी दिन में भोपाल स्थित मंत्रालय में होने वाला वंदे मातरम आज 1 जनवरी को नहीं गाया गया जबकि पिछली सरकार में ऐसा होता था…
गौर करने वाली बात है. पिछले 14 सालों से महीने की पहली तारीख को ऑफिस में काम काज शुरू होने से पहले मंत्रालय के वल्लभ भाई पटेल मार्ग में पुलिस बैंड और गायन समूह के साथ सभी सरकारी कर्मचारी वंदे मातरम की गूंज सुनाई देती थी. लेकिन नई सरकार मे 1 जनवरी को ना ही पुलिस का बैंड राष्ट्रीय धुन बजाने यहां पहुंचा और न ही वंदेमातरम् गाने वाले लोग यहां दिखाई दिए… सरकारी सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ सरकार ने इस आयोजन को लेकर कोई गाइड लाइन जारी नहीं की है. जिसकी वजह से समान्य प्रशासन विभाग के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है. बहरहाल कुछ भी हो लेकिन 14 सालों में पहली बार 1 जनवरी 2019 की सुबह मध्यप्रदेश सचिवालय मे वंदे मातरम की गूंज सुनाई नहीं दी. दरअसल इस परंपरा की शुरूआत 2005 मे मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने की थी…
वंदे मातरम् के गायन नहीं होने या अगले महीने से फिर शुरू होने को लेकर अटकलें काफी तेज है. लेकिन अगर आगामी माह के पहले दिन इसका आयोजन नहीं होता है तो फिर ये तय मानिए कि नई सरकार ने पुरानी सरकार की परंपरा को जमीदोज कर दिया है. हालाकि 14 साल पुरानी वंदेमातरम् गायन परंपरा में कई बार मुख्यमंत्री भी शामिल होते रहे हैं. और अगर सीएम कहीं व्यस्त हैं तो फिर कोई न कोई मंत्री इस आयोजन में जरूर शामिल होता था…
देखिए वीडियो न्यूज़…
https://youtu.be/AtqXZnG88J4