नतीजो के बाद धान खरीदी मे आएगी तेजी…. चुनावी घोषणा के लागू होने का किसानो को इंतजार

 

छत्तीसगढ मे हुए विधानसभा चुनाव के बाद राजनैतिक दल के लोग,, सत्ता हथियाने के लिए उपर वाले के दरबार मे भले ही माथा टेंक रहे हो,, लेकिन उनके चुनावी वादे और दावे का असर सीधे तौर पर धान खरीदी मे देखा जा सकता है, सुनकर हैरानी जरुर होगी , लेकिन ये सच है कि  किसान राजनैतिक दलो के चुनावी घोषणा पत्र की ऊंची दरो के लागू होने के इंतजार मे है,

छत्तीसगढ के पिछले दो चुनाव से मतदान, मतगणना और मतदाता चावल संबधी मर्ज से ग्रसित रहते है, फिर चाहे वो ऊंचे दरो मे धान खरीदने और बेंचने का हो, या फिर धान से चावल की मीलिंग कर 1,2 रुपए के साथ फ्री मे चावल बांटने की बात हो। और ऐसे मे चुनाव डाक्टर (नेता) लोगो के नब्ज टटोल कर उनके ईलाज करने का प्रयास करते है, और इस इलाज मे कुछ ऐसा परामर्श( दावे-वादे) छोड जाते है,, जो बिमारी दावे और वादे पूरा ना होने पर डाक्टर(नेता) के लिए ही घातक साबित हो जाती है। ऐसा ही देखने का मिल रहा है, छत्तीसगढ मे हुए विधानसभा चुनाव के बाद,, दरअसल इस चुनाव मे 10 वर्षो से विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस ने धान पर 2000 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने की घोषणा के साथ ही फ्री मे चावल देने की घोषणा की है। तो भाजपा ने इस मुद्दे पर विचार करने के साथ ही 1 रुपए किलो चावल देने की बात पर दम भरा है। जिसका सीधा असर धान खरीदी केन्द्रो मे देखनो को मिल रहा है। और किसान अपने मेहनत की फसल बेंचने के लिए मतगणना का इंतजार कर रहे, क्योकि इस चुनावी घमासान मे किसानो को इंतजार है कि जल्द परिणाम आए और उनकी धान की उनको ऊंची कीमत प्राप्त हो। और किसानो के इस इंतजार के कारण धान खरीदी केन्द्र जंहा सूने पडे है, वही अधिकारी कर्मचारी को भी अपनी चुनावी खुमारी उतारने का मौका मिल रहा है।

छत्तीसगढ के कई जिलो मे आलम ये है कि धान खरीदी मे लगे अधिकारी कर्मचारी को लक्ष्य़ पूर्ती की चिंता सात रही है। और धानखरीदी केन्द्रो मे किसानो की चहलकदमी का इंतजार कर रहे अधिकारी भी मान रहे है कि चुनावी प्रकिया का असर सीधे तौर पर धान खरीदी मे दिख रहा है। हांलाकि ये उम्मीद जताई जा रही है, कि राजनैतिक दल भले ही अपने घोषणा पत्र की घोषणाओ का परिणाम के बाद जल्द लागू करे या ना करे,, लेकिन मतगणना के बाद जल्द ही धान खरीदी शुरु हो जाएगी।