अम्बिकापुर..(सीतापुर/अनिल उपाध्याय).. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मनाही के बाद भी क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन एवं तस्करी जोरो पर है। बेखौफ रेत तस्कर एनजीटी द्वारा लागू नियमो को ठेंगा दिखा रात के अंधेरे में नदियों से अवैध उत्खनन कर रेत तस्करी को धड़ल्ले से अंजाम दे रहे है। तस्करों द्वारा क्षेत्र की नदियों से रेत निकाल कर चोरी छुपे उसे उत्तरप्रदेश की मंडियों में खपाया जा रहा है। इस मामले की जानकारी होने के बाद भी खनिज विभाग की चुप्पी रेत तस्करी को बढ़ावा दे रही है। रेत तस्कर बेखौफ होकर अपने कारनामो को अंजाम दे रहे है।
गौरतलब है कि क्षेत्र की जीवनदायिनी मांड नदी में रात को चोरी छुपे रेत का अवैध उत्खनन एवं तस्करी जोरो पर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा रेत उत्खनन में प्रतिबंध लगाने के बाद भी रेत तस्कर दिन ढलते ही ग्राम भवराडाँड़ एवं प्रतापगढ़ से होकर बहने वाली मांड नदी में सक्रिय हो जाते है। जहाँ पोकलेन एवं जेसीबी मशीन के जरिये रेत का अवैध उत्खनन कर रेत तस्कर उसे रातों रात हाइवा वाहन के जरिये उत्तरप्रदेश के मंडियों में खपा मोटी कमाई करते है। एनजीटी द्वारा मनाही के बाद भी रेत तस्कर बालू से होने वाली मोटी कमाई का लालच छोड़ नही पा रहे है और बेखौफ होकर मांड नदी से रेत का अवैध उत्खनन कर प्रतिदिन पाँच से सात हाइवा उत्तरप्रदेश की मंडियों में खपा रहे है। मोटी कमाई के चक्कर मे रेत तस्करों द्वारा की जा रही अंधाधुंध खुदाई से नदी का स्वरूप बिगड़ने लगा है। बेतरतीब खुदाई से नदी का स्वरूप बिगड़ने लगा है जगह-जगह काफी गहरे गड्ढे निर्मित हो चुके है जो भविष्य में ग्रामवासियों के लिये जानलेवा साबित हो सकते है।
“इस संबंध में जिला खनिज अधिकारी बजरंग पैंकरा से उनका पक्ष जानने संपर्क साधा गया, किंतु संपर्क नही होने की वजह से उनका पक्ष नही रखा जा सका।”