सर ये तो बता दीजिए…… 10 सवाल हल करने है या 5 ?

  • दस प्रश्न हल करने हैं या पांच, उलझे रहे विद्यार्थी, हुआ हंगामा
  • दो घंटे विलंब से पता चला कि पांच ही प्रश्न हल करने है, कई छात्रों ने 7 से 8 प्रश्न हल कर डाले
  • गलत प्रश्न पत्र बांटने वाले परीक्षा प्रभारियों पर कार्यवाही को लेकर कुल सचिव को छात्र संघ ने सौंपा ज्ञापन

अम्बिकापुर

सरगुजा विश्वविद्यालय अंतर्गत सरगुजा संभाग भर के कॉलेजों में अभी दो दिन पूर्व ही अंग्रेजी भाषा के गलत प्रश्न पत्र बंट जाने का मामला पूरी तरह ठण्डा हुआ भी नहीं था कि शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति शास्त्र की प्रथम प्रश्न पत्र में 10 प्रश्न पूछे जाने को लेकर छात्र एक बार फिर उलझ गये। छात्र कॉलेजों में परीक्षा करा रहे शिक्षकों से पूछते रहे कि सर दस प्रश्न हल करना है या पांच? इसे लेकर छात्र लगभग दो घंटे तक उलझे रहे। पीजी कॉलेज के परीक्षा प्रभारियों द्वारा व प्राचार्य द्वारा इस संदर्भ में सरगुजा विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों से वार्ता की तो उन्हें पता चला कि उन्हें पांच प्रश्न ही हल करना है। जब तक छात्रों को कितने प्रश्न हल करना है इसका पता लगता कई छात्र 7 से 8 प्रश्न हल कर चुके थे तो कई छात्र प्रश्न पत्र में 10 प्रश्न व समान अंक लिखा होना को लेकर थोड़े-थोड़े शब्दों में प्रश्नों को हल करते जा रहे थे।

छात्रों के अनुसार प्रश्न पत्र के प्रथम पन्ने में 10 प्रश्रों का हल करने का व समान अंक होने का उल्लेख था और प्रश्न पत्र के अंदर किसी भी प्रश्न में अथवा या भाग नहीं लिखा था। विश्वविद्यालय के इस लापरवाही से छात्र काफी आक्रोशित थे और परीक्षा कक्ष के अंदर ही काफी हंगामा किये। छात्र संघ अध्यक्ष सतीश बारी ने विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा को लेकर वहां के अधिकारियों के गंभीर नहीं होने का लेकर व गलत प्रश्र पत्र बांटने वाले परीक्षा प्रभारियों के विरूद्ध कार्यवाही को लेकर छात्र संघ ें सरगुजा विश्वविद्यालय के कुल सचिव को ज्ञापन सौंपा है।

ज्ञापन में बताया गया है कि सरगुजा विश्वविद्यालय पूरे संभाग का एक मात्र विश्वविद्यालयय है जहां हजारों छात्र अपनी पढ़ाई कर अपने उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर होते हैं, परंतु परीक्षा विभाग में बैठे अधिकारी इन बच्चों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है। गत 16 मार्च को सरगुजा विश्वविद्यालय के द्वारा मुख्य परीक्षा आयोजित की गई थी। बीए द्वितीय वर्ष अंग्रेजी साहित्य की परीक्षा का प्रश्न पत्र छात्रों को बांटा गया था तथा अंग्रेजी साहित्य द्वितीय प्रश्न पत्र को पेन से काटकर प्रथम बनाया गया था। निश्चित ही यह एक गंभीर त्रुटि परीक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा किया गया है। परीक्षा एक गोपनीय कार्य माना जाता है। इसका भी विश्वविद्यालय में बैठे परीक्षा विभाग के अधिकारियों को छात्रों से कोई लेना-देना नहीं है और न ही उनके भविष्य से कोई लेना-देना है।

18 मार्च को भी ऐसा ही एक और कारनामा विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया। बीए फाईनल तृतीय वर्ष की राजनीति प्रथम का परीक्षा सुबह 7 से 10 बजे तक आयोजित था। राजनीति प्रथम के परीक्षा में प्रश्न पत्र में 10 प्रश्न हल करने को दिया गया था जो कि गलत था। सभी परीक्षा में मात्र 5 प्रश्न ही भाग अनुसार आते हैं। छात्रों ने जब प्रश्न पत्र हल करना शुरू किया। तब छात्रों ने यह बताया कि प्रश्न पत्र में त्रुटि है। जब तक मसला हल होता, तब तक परीक्षा के दो घंटे बीत चुके थे। परीक्षा केंद्र्र से दो घंटे बाद विश्वविद्यालय का फोन लगाया गया तब परीक्षा प्रभरियों ने बताया कि केवल 5 प्रश्न हल करना है। इतनी बड़ी चुक होना परीक्षा की गोपनीयता को भंग करता है। उन्होंने मांग की है कि सभी अधिाकारियों को तुरंत निलंबन किया जाये, जिन्हें प्रभार दिया गया है। अन्यथा छात्र संघ एवं छात्र आने वाले सभी मुख्य परीक्षाओं का बहिष्कार करेंगे तथा विश्वविद्यालय के खिलाफ विश्वविद्यालय के सामने धरना प्रदर्शन, घेराव तथा भूख हड़ताल जैसे कृत्यों को विवश होंगे, जिसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रबंधन की होगी।