गांव में शौचालय बनाने एवं सुधारने लगा पूरा तंत्र पर स्कूलों के खराब शौचालयों पर नही है किसी का ध्यान
खंड स्तर के कई स्कूलों में विद्यार्थी अभी भी मैदान में करते हैं शौच, शौचालय खराब और पानी की कोई व्यवस्था नहीं
सोनहत से राजन पाण्डेय -एक ओर जिले में शौचालय निर्माण और मरम्मत को लेकर पूरा सरकारी अमला जुटा हुआ है इसी कार्यक्रम के तहत कोरिया जिला के सोनहत विकासखंड को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है बावजूद इसके कई जगहों पर शौचालय नही बनाए गए है और कुछ जगहों पर आधा अधूरा एवं घटिया निर्माण होने के कारण वो शौचालय उपयोग विहीन साबित हो रहे है जब मीडिया ने शौचालय निर्माण से संबंधित खबरें लगातार प्रकाशित की तो आनन फानन में फिर से शौचालय निर्माण एवं मरम्मत पर फोकस किया गया और वर्तमान में पंचायत का अमला शौचालय निर्माण एवं मरम्मत में जुटा हुआ है। वहीं दूसरी ओर सरकारी संस्थानों खास कर स्कूलों में नजर दौड़ाई जावे तो अधिकांश स्कूलों के शौचालय उपयोग के लायक नही है। विकासखंड सोनहत अंर्तगत सरकारी स्कूलों में शौचालय बना दिए गए हैं और कुछ जगहांे पर बनाए जा रहे है। यह दावा जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग की रिपोर्ट कर रही है। सभी प्राथमिक, माध्यमिक एवं हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में शौचालय निर्माण के लिए राशि उपलब्ध कराई गई और निर्माण भी हुए। हालांकि शौचालय निर्माण में अधिकांश स्कूलों में काफी कमजोर काम हुआ है, लेकिन शौचालय का कमरा तैयार हुआ है। परन्तु सोनहत क्षेत्र में आलम है यह है कि बनने के बाद शायद ही कुछ स्कूलों के चंद विद्यार्थीयों के द्वारा शौचालय का उपयोग किया गया। इसके बाद से शौचालय शो पीस बनकर रह गए हैं।
अधूरा व घटिया निर्माण से खराब हो गए शौचालय
सोनहत विकासखंड प्राथमिक एवं माध्यमिक समेत अन्य स्कूलों में शौचालय का हाल बेहाल है आलम है कि जिस शौचालय में कमरा तैयार किया गया है वहां सीट नही लगाई गई और जिसमंे सीट लगाई गई है वहां पर टैंक निर्माण नही कराया गया है। इसके अतिरिक्त कुछ स्थानों पर दरवाजे नही लगाए गए है तो कई जगहों पर ढक्कन एवं पाईप की सेटिंग नही की गई है। कुछ स्थानों पर चेंबर के पाईप इतने कमजोर लगाए गए थे कि वो कब के टूट गए है । कुछ स्थानों पर दिवार से लेकर सीट तक टूट चुकी है और कमरे में सिर्फ कचरा भरा हुआ है कुल मिलाकर वर्तमान समय में खुले में शौच से मुक्त सोनहत विकासखंड के अधिकांश स्कूलों में शौचालय उपयोग किये जाने लायक नही है और छात्र खुले में शौच करने को मजबूर है।
पानी की सप्लाई नहीं
मुख्यालय स्तर के कुछ स्कूलों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां बने शौचालयों में पानी की सप्लाई नहीं हैं। पानी की सुविधा के लिए हैण्डपंप लगाए गए हैं, जो पीने का पानी तक उपलब्ध नही करा पा रहे है । अधिकांश शौचालयों में न तो पानी की टंकी लगाई गई और न ही ऐसी सुविधा है कि विद्यार्थी को शौचालय जाने के बाद वहीं पानी मिल सके। इसके अतिरिक्त कुछ स्कूलों में पानी की टंकी लगाई भी गई तो वो टूट चुकी है और कुछ स्थानों की टंकीयां गायब हो चुकी है ।ऐसी स्थिति में विद्यार्थी शौचालय का उपयोग नहीं कर पाते और कुछ स्कूलों के शौचालय में सफाई कौन कराएगा इस संकट के कारण ताला लगा रहता है ।
न चपरासी न स्वीपर
खंड स्तर के अधिकांश सरकारी स्कूलों में चपरासी नहीं हैं और न ही स्वीपर की व्यवस्था है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी ही स्कूलों में झाडू लगा रहे हैं और पानी की व्यवस्था भी खुद करते हैं। इतना ही नहीं मध्यान्ह भोजन खाने के बाद विद्यार्थी खुद बर्तन भी साफ कर रहे हैं।
बालिकाओं को दिक्कत
सरकार के निर्देश और विभागीय प्रयास के बाद भी स्कूलों में अभी भी बालिकाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सका है। अभी भी स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को खुले में शौच जाना पड़ रहा है, जिसके लिए कहीं न कहीं सरकारी व्यवस्था ही जिम्मेदार है। शौचालय निर्माण के समय ही पानी सप्लाई को ध्यान में रखकर काम किया गया होता तो यह स्थिति नहीं बनती। लाखों रुपए शौचालय निर्माण में खर्च कर दिए गए, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो पा रहा।
मरम्मत के नाम पर भी लाखों खर्च परीणाम सिफर
वर्ष 2016 में स्कूलों में बने शौचालाय के मरम्मत के लिए भी शासन स्तर से लाखों रूपय की राशी मुहैया कराई गई थी लेकिन उसमें भी भ्रष्टाचार के खेल खेला गया ज्यादातर उन स्कूलों को राशी आबंटित कराई गई जिनका शौचालय पुर्व से ठीक ठाक था जबकी जिन स्कूलों में उस राशी की आवश्यकता थी उन्हे राशी ही नही दिया गया। इस संबंध में मिली जानकारी अनुसार कुछ स्कूल ऐसे भी है जहां पर राशी मिलने के बाद सिर्फ शौचालय के बाहरी दिवारों की पुताई कराकर फोटो सलग्न कर दिया गया है।
97 लाख के फ्रेण्डली शौचालय अधर में
विकासखंड सोनहत अंतर्गत समस्त ग्राम पंचायतों में स्थित प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत फें्रण्डली शैचालय निर्माण हेतु शासन प्रशासन स्तर पर लगभग 194 नग शैचालय निर्माण हेतु प्रति शौचालय पचास हजार रूपए के हिसाब से कुल 97 लाख रूपए की राशी स्वीकृत की गई थी परन्तु क्षेत्र के पंचायतों में आलम है की राशी स्वीकृत हुए कई वर्ष बीतने को है परन्तु ये शौचालय निर्माण अभी तक पुर्ण नही हो पाया है । वही क्षेत्र के कुछ ग्राम पंचायतों में अभी तक शौचालय का निर्माण आधा भी नही कराया गया है जबकी इन ग्राम पंचायतों को निर्माण प्रारंभ कराने बतौर प्रथम किश्त तीस हजार रूपए की राशी भी प्रदाय की जा चुकी है । ग्रामीणों ने कई स्थानों पर बन चुके फ्रेंडली शौचालयों को गुणवत्ता वहीन बताते हुए कहा की शौचालय निर्माण में घटिया किस्म के ईंट एवं मटेरियल का उपयोग किया गया है जिसके कारण ये शौचालय कितने दिन टिकेंगे इसकी कोई गारंटी नही है ।
शौचालय निर्माण नही होने से विद्यालय में अध्यनरत छात्र छात्राओं को भारी असुविधाओं का सामना करना पड रहा है जिसके मददेनजर अभिभावकों एवं ग्रामीणों में आक्रोश का आलम निर्मित होने लगा है
गुणवत्ता अभियान में नही लिया सुध
पिछले सत्र में शिक्षा गुणवत्ता अभियान में जिले के कई आला अधिकारीयों ने स्कूलों का दौरा कर गुणवत्ता की जांच किया लेकिन इस गुणवत्ता जांच में उन्हे स्कूलों के खराब शौचालय नजर नही आए ग्रामीणों और पालकों का कहना है अधिकारी सिर्फ स्कूल जांच कर शिक्षकों को खरी खोटी सूनाते है लेकिन उन निर्माण एजेंसीयों पर कभी उनकी नजर नही जाती जिन्होने शासन से राशी लेकर भी शौचालय निर्माण में गुणवत्ता युक्त कार्य नही किया ।
72 लाख की राशी प्रदान की जा चुकी है-बी आर सी
इस संबंध में खंड स्रोत समन्वयक एरोन बखला से जानकारी चाही गई तो उन्होने बताया की खड स्तर पर लगभग 194 नग फ्रेंडली शौचालय 97 लाख रूपए की लागत से बनाए जाने थे जिस पर खंड स्तर से प्रथम किश्त के रूप में प्रति शौचालय कही तीस हजार और कही आधा कार्य होने के बाद चालीस हजार रूपए जारी कर दिया गया था इस तरह कुल मिलाकर 7230000 रूपए प्रदान किये जा चुके है साथ ही प्रति माह ग्राम पंचायत को शौचालय निर्माण पुर्ण करने रिमाईंडर भी भेजा गया है
इनका कहना है।
अधिकांश स्कूलों में शौचालय उपयोग हो रहा है अगर कहीं पर शौचालय खराब है तो सी ए सी के माध्यम से जानकारी लेकर आगे कार्यवाही कराई जावेगी।
शोभ नाथ सिंह.. बी ई ओ सोनहत