छत्तीसगढ़ में मंगलवार से बसों की हड़ताल रहेगी। ऐसे में रोजमर्रा के सफर पर जाने-आने वाले करीब 5 लाख यात्रियों को परेशानी होनी तय है। यह महाबंद अनिश्चितकालीन होगा। जब तक बस संचालकों की मांग मानी नहीं जाती तब तक राज्य में बसें नहीं चलेंगी। इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अनवर अली बताया, ‘कई दिनों से संघ किराया बढ़ाने के लिए मांग कर रहा था। दो सप्ताह से महासंघ के पदाधिकारी इस मुद्दे पर प्रशासन और सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर रहे थे, लेकिन सरकार राजी नहीं है। इसलिए मंगलवार से बसों का संचालन बंद करने का ऐलान किया है।’
13 जुलाई को बस सेवा बंद करने के बाद 14 जुलाई को जल समाधि की तैयारी है। छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि हम सभी संचालकों का परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। चूंकि हमारी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए में हम परिवार के साथ खारुन नदी में समाधि ले लेंगे। 14 जुलाई को 3 बजे हम नदी के तट पर पहुंचेंगे अगर कोई अनहोनी होती है तो जिम्मेदार सरकार होगी।
2018 में 60 रुपए प्रति लीटर में बिकने वाला डीजल अब 2021 में लगभग 97 रुपए प्रति लीटर की दर पर बिक रहा है। छत्तीसगढ़ में यात्री किराया नहीं बढ़ने की वजह से बस संचालकों को नुकसान हो रहा है। बीते दो सालों में लॉकडाउन और कोरोना के असर की वजह से आर्थिक परेशानी बढ़ी है। पड़ोसी राज्य जैसे मध्यप्रदेश में सरकार ने यात्री किराया बढ़ाने पर मंजूरी दी जिससे वहां के बस ऑपरेटरों को थोड़ी ही सही राहत मिली है ।
• प्रदेश में कुल 12 हजार बसें, 9 हजार बस संचालक हैं।
• 2500 बसें लोन की किश्त जमा न हो पाने की वजह से जब्त हैं।
• आर्थिक तंगी की वजह से 300 बस संचालक इस काम को बंद कर चुके हैं।
• रोज सिर्फ रायपुर से ही 5 लाख लोग प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में सफर करते हैं।
• प्रदेश के कई हिस्सों में लोग कामकाज, बाजार, इलाज की वजह से बसों पर सफर करते हैं।
• छत्तीसगढ़ में इस वक्त 1 लाख 8 हजार लोगों का रोजगार बस संचालन करने वाली एजेंसियों से जुड़ा है।
• प्रदेश के आधे से अधिक जिले और हजारों गांव के लोगों को सिर्फ बस ही का सहारा है।
• रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, जांजगीर, भाटापारा, दुर्ग राजनांदगांव के लिए ट्रेन है, मगर इन जिलों के आसपास बसें ही पहुंचती हैं।