अम्बिकापुर. सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 55 किलोमीटर दूर स्थित महेशपुर गांव में… कलचुरी राजाओ के जमाने के 10 से अधिक टीलो की खुदाई मे शदियो पुरानी मूर्तिया और मंदिर के अवशेष मिले हैं. जिसको करोडो खर्ज कर उसी स्थान मे सजाया गया है. लेकिन इन टीलो के ही नजदीक हो रही ब्लास्टिंग की वजह से यहां मिले भग्नावेश पर असितत्व का संकट गहराने लगा है. और लोग अपनी धरोहर अपनी पहचान को बचाने काफी कोशिश कर रहे हैं. लेकिन शायद प्रदेश संस्कृति मंत्री को इसकी कोई परवाह नही है..
पूर्वी मध्य भारत के दण्डकारण्य का प्रवेश द्वारा माने जाने वाला सरगुजा के महेशपुर मे की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर पर अब संकट मंडराने लगा है.. भगवान राम के दंडकारण्ड मे प्रवेश करने वाले स्थान के रूप मे विख्यात महेशपुर मे 10 से अधिक टीलो की खुदाई के दौरान विष्णु ,वराह ,वामन , सूर्य ,नरसिंह, उमा, महेश्वर, नायिकाओ और कृष्ण लीला के साथ ही जैन धर्म से संबधित मूर्तिया और मंदिर मिले थे. जिनको प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा सहेज कर उसको पर्यटक स्थल के रूप मे विकसित करने का काम किया गया, लेकिन करोडो रुपए खर्च करके भी प्रदेश सरकार महेशपुर के असतित्व पर मंडरा रहे संकट से उसको उबार नही पा रहे हैं. दरअसल सांस्कृतिक, पर्यटन और आध्यात्मिक महत्व के इस स्थान के ठीक बगल मे संचालित स्टोन क्रेसर मे रोजाना ब्लास्टिंग की वजह से टीलो से निकली मूर्तियां और मंदिर एक एक करके क्षतिग्रस्त होती जा रही हैं.. इस संबध मे हमने रामनगर की उपसरंपच शोभा सिंह से जानकारी ली , तो उन्होने बताया कि ब्लास्टिंग की वजह मूर्तियों औऱ मंदिर मे दरार आ रही हैं. जिसको लेकर जिला प्रशासन तक शिकायत पहुंचाई गई है. इतना ही नही उन्होने जिले के ही विधायक के संस्कृति मंत्री से जल्द कोई कारगर उपाय करने की उम्मीद भी जताई है.
ब्लास्टिंग तो होती है…
8वी से 10वी शताब्दी के भग्नावेश अपने मे समेटे महेशपुर का ये महत्वपूर्ण स्थान रामनगर पंचायत मे आता है. जो जिले के उदयपुर ब्लाक मे स्थित है. और इस पूरे क्षेत्र के लोग महेशपुर के असितत्व मे आने के बाद काफी खुश थे कि इनके गांव और इलाके को अब देश विदेश मे नई पहचान मिलेगी. लेकिन विकास की अधी दौड मे इतने प्राचीन और आध्यात्मिक महत्व के स्थान के असतित्व के साथ भी खिलवाड हो रहा है. इधर इलाके मे संचालित क्रेसर के एक कर्मचारी वेद भूषण मरकाम से जब हमने ब्लास्टिंग के बारे मे पूंछा तो उन्होने स्पष्ट कर दिया कि क्रेसर मे गिट्टी के लिए ब्लास्टिंग की जाती है.
पहुंच मार्ग गड्ढों और टीलो मे तब्दील….
कभी दंडकारण्य के प्रवेश द्वारा रहे इस स्थान मे मिले सबूत और कला संस्कृति ये सबूत पेश करते हैं कि प्राचीन जमाने मे यहां तीर्थ यात्रा मे यहां आते रहें होगें.. लेकिन मौजूदा वक्त मे महेशपुर की इन मूर्तियो के साथ यहां तक पहुंचने वाला रास्ता भी बद से बदतर हो गया है. चूंकि स्टोन क्रेसर से ओवरलोड ट्रक ग्रामीण सडको से गुजरते हैं, लिहाजा आप को यहां तक पहुंचाने वाला रास्ता भी गड्ढो और टीलो मे तब्दील हो गया है. आलम ये है कि रामनगर महेशपुर से ब्लाक मुख्यालय तक स्कूल जाने वाले बच्चे कभी साईकिल से गिर पडते हैं तो कभी साईकिल खराब होने की वजह से उन्हे परिजनो की डाट फटकार का सामना करना पडता है. रास्ते से गुजरने वाले रामनगर के छात्र जयकरण औऱ छात्रा चंदा से जब परेशानियो के बारे मे पूछा गया था. उनका यही जवाब था.
मंत्री जी को पता है……
विश्व के प्राचीनतम स्थल महेशपुर पर मंडरा रहे खतरे की बानगी भी. लिहाजा क्षेत्र के लोगो के दुख दर्द को लेकर हमने प्रदेश के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत से बात की तो, उन्होने फिर हैरान कर देने वाली बात कही.. उनके अनुसार उनको पूरे मामले की जानकारी है. तो सवाल ये है कि जब जानकारी है तो क्या महेशपुर जब अपना असतित्व खो देगा. तब कार्यवाही होगी. हालाकि मीडिया मे आई खबर के बाद मंत्री जी ने ये जरूर कहा है कि महेशपुर के लिए अच्छा करने का प्रयास करेगें..
सरगुजा का ये पहली प्राचीन धरोहर नहीं है. जिस पर विकास से विनाश की संभावना बनी हुई है. बल्कि सरगुजा की ऐताहासिक बिल द्वार गुफा तो एसईसीएल की ब्लास्टिंग की वजह से जमीदोज भी हो चुकी है.. ऐसे मे अगर जल्द ही महेशपुर के संरक्षण औऱ संवर्धन की दिशा मे कोई ठोस कार्यवाही नही की गई.. तो फिर ऐतहासिक महेशपुर केवल इतिहास मे ही पढा जा सकेगा…
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