अम्बिकापुर. मजदूर आज इतना मजबूर क्यों है.? हर तरफ एक ही कोहराम मचा हुआ है… लाकडाउन में सबसे बड़ा संकट इन्ही पर आ पड़ा है.. पैदल, भूखे प्यासे ये सड़क पर निकल पड़े हैं.. ट्रक, बस, साइकल, पैदल जैसे बना वैसे निकल पड़े… उम्मीद सिर्फ एक अपने घर पहुँचने की… लेकिन इनके दर्द को शायद सरकारें नही समझ पाई या समझने में बहोत देर कर दीं… मजदूरों के इसी दर्द को अम्बिकापुर की नन्ही गायिका स्तुति ने गीत के माध्यम से सामने लाया है… और यह गीत इतना भावुक कर देने वाला है की शायद आप अपने आंसू ना रोक पायें…
गीत का टाइटल है …”हम भूखे हैं” …और बार बार गीत के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है… की मजदूर भी इंसान हैं. उसी ईश्वर के बनाये हुए हैं जिसने अमीर और धनवान लोगों को बनाया. फिर यह भेदभाव कैसा… जाहिर है की लाकडाउन से पहले सरकार ने विदेश में फंसे भारतीयों को बड़े सुविधाजनक तरीके से देश वापसी कराई थी… लेकिन देश के ही अन्य हिस्सों में रह रहे मजदूरों की घर वापसी पर इतनी फजीहत क्यों हो रही है… सरकार प्रशासन के माध्यम से मजदूरों को अपनी सीमा तक भेजने का दावा करती है… फिर क्यों सड़क पर मजदूर पैदल दिखते हैं… पुलिस कर्मी उन्हें ट्रकों में भेजते हैं.. क्योंकी जमीनी हकीकत यही है की मजदूर बुरी तरह परेशान है….
दरअसल यह गीत भी स्तुति के पिता राजेश जायसवाल ने बनाया है.. इस बार गीत के बोल कृष्णचंद पुरी ने लिखे हैं… इसके पहले भी स्तुति ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने की दृष्टी से एक छत्तीसगढ़ी और एक हिंदी गीत गाया था… और उन दोनों गीतों की भी जमकर सराहना हुई थी… लेकिन मजदूरों के दर्द को बयां करता यह गीत कुछ अलग ही है… यह गीत कम फरियाद ज्यादा लगता है.. मानो गीत के पीछे आवाज स्तुति की नही बल्कि देश के लाखों मजदूरों की हो.. वो मजदूर जो हजारों मील का सफर भूखे प्यासे पैदल तय कर अपने घर पहुंचे हैं…
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