विगत महीनों में बस्तर संभाग अंतर्गत नक्सलियों के विरुद्ध प्रभावी अभियान संचालित करने के परिणामस्वरूप अनेक माओवादियों के आश्रयस्थल को ध्वस्त किया गया है तथा कई नक्सलियों के शव भी बरामद किये गए है ।
नक्सली आंदोलन में भविष्य नही होने की बात को समझते हुये काफी बड़ी तादात में नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण भी किया गया है। नक्सलियों के पैर के नीचे जमीन खिसकते हुये देखकर बाहरी माओवादियों द्वारा निर्दोष ग्रामीणों की हत्या एवं मारपीट करके आतंकित वातावरण निर्मित करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन उनके ये गलत विचार एवं कायराना हरकत ही बस्तर क्षेत्र से नक्सल संगठन के खात्मा का कारण बनेगा।
बस्तर क्षेत्र में हाल फिलहाल में कोरोना संक्रमण, लॉकडाउन एवं बाढ़ की परिस्थितियों में भी सड़क, पुल-पुलिया व अन्य मुलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को मुहैया कराया गया है जिससे शासन, प्रशासन और सुरक्षाबल के प्रति ग्रामीणों में विश्वास बढ़ा है।
इस प्रकार बदलते परिस्थिति की घबराहट में माओवादी द्वारा किसी भी ग्रामीण को जनविरोधी बोलकर निशाना बनाया जा रहा है। ये माओवादियों की ताकत की नही बल्कि कमजोरी की निशानी है।