
अम्बिकापुर। सरगुजा जिला इन दिनों चोरी की वारदातों से बुरी तरह जूझ रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक चोरों ने दहशत फैला रखी है। पिछले एक महीने में जिले में 100 से अधिक छोटी-बड़ी चोरी की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। सुने घर, रात में बंद दुकानें, यहां तक कि शहर की प्रतिष्ठित मूर्तियों के हिस्से भी चोरों के निशाने पर हैं।
सबसे हैरान करने वाली घटनाएं शहर के दो प्रमुख चौकों पर सामने आई हैं। प्रतापपुर नाका स्थित महाराणा प्रताप चौक से उनकी प्रतिमा का भाला चोरी हो गया, वहीं पुराना बस स्टैंड के पंडित दीनदयाल उपाध्याय चौक से उनकी प्रतिमा का चश्मा चोर उड़ा ले गए। इन घटनाओं ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं और अब इस पर सियासत भी तेज़ हो गई है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा, “जब हम छोटे थे तो राजा कमल ओढ़कर जनता के बीच उनकी समस्याएं जानने निकलते थे। आज की सरकारें केवल दिखावे में व्यस्त हैं। शासन और प्रशासन की स्थिति अब मूर्तियों से सामान तक चोरी होने पर भी चुप्पी साधे हुए है।”
सिंहदेव ने बढ़ती चोरी की घटनाओं के पीछे नशीले पदार्थों के बढ़ते उपयोग को भी एक बड़ी वजह बताया और कहा कि नशे की गिरफ्त में आकर युवा अपराध की ओर बढ़ रहे हैं, जिसे रोकने में सरकार पूरी तरह विफल है।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
चोरी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए आम नागरिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। पुलिस की सक्रियता और गश्त पर भी सवाल उठने लगे हैं। लगातार हो रही चोरी की घटनाएं यह दर्शा रही हैं कि न केवल कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है, बल्कि प्रशासन भी आंख मूंदे बैठा है।
क्या कहता है प्रशासन?
अब तक चोरी की इन चर्चित घटनाओं को लेकर पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि अगर शहर की प्रतिमाएं भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?