कोरबा। बालको के साढ़े पांच दशकों की यात्रा सिर्फ एक उद्योग के विस्तार की यात्रा नहीं है बल्कि यह समस्त स्टेकहोल्डरों के अटूट संकल्प के निरंतर मजबूत बनते जाने का सफरनामा है। बालको की कहानी एक संयंत्र और उसमें लगी मशीनों की प्रगति और उनके विस्तार पाने की कहानी नहीं हैं बल्कि यह उन व्यवसायियों, उद्यमियों, ठेले और खोमचे वालों, डाॅक्टरों, इंजीनियरों, शिक्षकों, समाजसेवियों, किसानों और मजदूरों की कहानी है जो बालको के साथ खुद भी बड़े हुए, समृद्ध हुए और बालको के हर पल को साझा किया। गलियों को चैड़ी सड़कों में, कच्चे घरों को पक्के मकानों में, अंधेरी गलियों को बिजली से रौशन होते हुए और शिक्षा का उजियारा हर घर तक पहुंचते हुए देखा। तकनीकें तो समय के साथ बदल जाती हैं परंतु उनका महत्व तो इस बात में है कि कैसे उन तकनीकों ने उससे जुड़़े लोगों के जीवन को पहले से कहीं आसान बना दिया।
बालको ने शिक्षा के उन्नयन को सदैव ही सर्वोपरि रखा है। शिक्षा के क्षेत्र में बालकोनगर ने साढ़े पांच दशकों में भरपूर प्रगति की है। बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री अभिजीत पति कहते हैं कि शिक्षा के जरिए हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों से परिचित होते हंै। बालको ने अपने स्थापना काल से ही शैक्षणिक सुविधाओं के विकास पर भरपूर निवेश किया है। श्री पति इस बात पर प्रसन्नता जताते हैं कि बालकोनगर क्षेत्र के विद्यार्थियों का शैक्षणिक प्रदर्शन प्रति वर्ष बेहतरीन होता है। वह कहते हैं कि शिक्षा की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए बालको कटिबद्ध है।
बालको प्रबंधन की मदद से भारत एल्यूमिनियम कर्मचारी शिक्षण समिति (इंटक) द्वारा बाल सदन उच्चतर माध्यमिक स्कूल में जरूरतमंद विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है। समिति के अध्यक्ष श्री जयप्रकाश यादव बताते हैं कि स्कूल लगभग साढ़े तीन दशकों से संचालित है। स्कूल में अनेक सुविधाओं के विकास में बालको का महत्वपूर्ण योगदान है। चूंकि यहां पढ़ने वाले 90 फीसदी छात्र-छात्राएं गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों से आते हैं इस दृष्टि से जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देने की दृष्टि से बाल सदन स्कूल उत्कृष्ट योगदान दे रहा है। श्री यादव कहते हैं कि स्कूल का संचालन न सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल है।
बालको के पूर्व कर्मचारी श्री किशन यादव बताते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बालको का निवेश देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वह बताते हंै कि उनकी सुपुत्री अलंकृता यादव बालको स्थापित केंद्रीय विद्यालय से पढ़कर आज पोलैंड में साफ्टवेयर इंजीनियर है। सुपुत्र अनिरुद्ध यादव डीपीएस बालको से शिक्षित हुए और बेंगलुरू में साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं। श्री यादव कहते हैं कि कुछ निवेश ऐसे होते हंै जिनके परिणाम आने वाली अनेक पीढ़ियों के जीवन में सकारात्मक असर डालते हैं। वर्ष 2001 के बाद वेदांता समूह ने बालको में निवेश कर प्रगति को नए सिरे से परिभाषित किया है। श्री यादव विश्वास जताते हैं कि सतत प्रगति का दौर यूं ही चलता रहेगा।
बालकोनगर क्षेत्र में कार्यरत स्कूलों से शिक्षित विद्यार्थी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा से सफलताएं अर्जित कर रहे हैं। पिछले लगभग नौ वर्षों से बालको में निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संगठन दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारा सेवाएं दी जा रही हैं। वर्ष 2012 तक केंद्रीय विद्यालय संगठन का स्कूल संचालित था। इसके अलावा बालको टाउनशिप में 15 और भी स्कूल हैं जिनके संचालन में बालको प्रबंधन मदद करता है।
केंद्रीय और राज्य हायर सेकेंडरी बोर्ड के स्कूलों में बालको अधिकारियों, कर्मचारियों, ठेका कामगारों, आसपास स्थित क्षेत्रों के नागरिकों के बच्चांे को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा दी जाती है। सकारात्मक सामाजिक बदलाव में स्कूलों का बड़ा योगदान है। 5000 से अधिक छात्र-छात्राएं बालको की मदद से संचालित स्कूलों से लाभान्वित हो रहे हैं।
सामुदायिक विकास परियोजना की ‘परियोजना कनेक्ट’ के अंतर्गत वेदांत स्टडी सेंटर संचालित है। यह परियोजना ऐसे विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है जो महंगी कोचिंग या ट्यूशन नहीं ले सकते। वेदांत स्टडी सेंटर में अंग्रेजी, विज्ञान और गणित की विशेष कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। ‘परियोजना कनेक्ट’ की सफलता को इस बात से आंका जा सकता है कि इसके माध्यम से अनेक जरूरतमंद विद्यार्थियों का चयन इंजीनियरिंग के लिए हुआ है। इसके साथ ही बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों के प्रदर्शन में निरंतर सुधार हो रहा है। शिक्षा देने का काम बालको के लगभग 50 अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा निःशुल्क किया जा रहा है। परियोजना से लगभग 200 विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।
बालको ने अपने प्रचालन क्षेत्रों में जरूरतमंद बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए चाइल्ड केयर सेंटर संचालित किए हैं। वेदांत फाउंडेशन के सहयोग से शुरू किए गए इन सेंटरों में दो से पांच वर्ष के बच्चों की देखभाल की व्यवस्था की गई है। यहां बच्चों को पौष्टिक आहार दिए जाते हैं और मनोरंजक तरीके से उनमें पढ़ाई के प्रति रूचि पैदा की जाती है।
दिव्यांग बच्चों के सशक्तिकरण की दिशा में बालको वेदांत थैरेपी एंड रीहैब्लिटेशन सेंटर के संचालन में मदद कर रहा है। सेंटर की स्थापना ऐसे बच्चों के लिए की गई है जो देख, बोल और सुन नहीं सकते अथवा मानसिक रूप से निःशक्त हैं। इनरव्हील एजुकेशन सोसाइटी की ओर से संचालित केंद्र में निःशक्त बच्चों के लिए फीजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी, वर्क थैरेपी और बिहैवियर थैरेपी की सुविधा है।
वर्ष 2019 में बालको ने कोरबा स्थित दिव्य ज्योति छात्रावास परिसर में दृष्टिहीन और श्रवणबाधित युवाओं के लिए राज्य का पहला कौशल प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ किया है। केंद्र में दिव्यांग युवा ब्यूटीशियन, हाॅस्पिटैलिटी, कंप्यूटर और सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। दिव्यांग युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में ‘वेदांता काॅलेज एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर फाॅर डेफ एंड ब्लाइंड’ महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।