अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ के सरगुजा में योग दिवस तो मनाया गया लेकिन यहाँ कुछ लोग भव्य और वृहद योग का प्रदर्शन के चक्कर में नियम क़ानून और मानवता भी भूल गए, और बच्चियों को स्कर्ट पहना कर योग करा दिया गया. जाहिर है की जब स्कर्ट पहन कर योग के आसन किये जायेंगे तो शरीर के वो वस्त्र भी प्रदर्शित होंगे जिन्हें हमारे सभ्य समाज में परदे में रखा जाता है. लिहाजा सोशल साइट्स पर वाइरल हुई चार पांच तस्वीर में योग करती बच्चियों के अन्तः वस्त्र दिख रहे है और जिम्मेदार इस तस्वीर को शेयर भी कर रहे है. ये हरकत जहाँ एक ओर सभ्य समाज को शर्मसार कर रही है तो वही अपराध की श्रेणी में भी आता है. तस्वीरों को गौर से देखने पर पता चलता है की योगा के नाम पर छात्राओं की अस्मिता भंग करने का काम कतकालो संकुल की बकालो प्राथमिक शाला में किया गया है. इतना ही नही अंतराष्ट्रीय योग दिवस के दिन सामने आई इस तस्वीर मे लडकियो के साथ लडके भी योग कर रहे है। भले ही वो मीडिल कक्षाओ के बालक बालिका हो लेकिन क्या सही और जायज है ?
महिला बाल विकास विभाग, महिला आयोग और पुलिस विभाग लगातार pocso एक्ट पर वर्कशॉप कर रहे हैं। pocso एक्ट मुख्य रूप से नाबालिक बच्चो के विरुद्ध अपराध और विशेषकर नाबालिक बच्चियों के विरुद्ध आये दिन हो रहे योन शोषण, अन्य अपराध इत्यादि पर अत्यंत कठिन कानून और सज़ा का प्रावधान करता है। इतना ही नही एक्ट के अनुसार जन्म से लेकर 18 वर्ष से कम की बच्चियों की जाने अनजाने किसी भी अश्लील या आपत्तिजनक प्रस्तुति को भी अपराध की श्रेणी में रखता है, क्योंकि बाल अपराध की संख्या लगातार बढ़ रही है। अपराध में सर्वाधिक योन उत्पीडन के अपराध हैं। जिसमे बच्चों की उम्र का कोई मसला नही वो 8 साल के भी हो सकते हैं और 12 के भी इन परिस्थितियों में लड़कों लड़कियों को एक साथ योग कराना और इस प्रकार का आसन जिसमे बच्चियों की अपत्तिजनक फ़ोटो है और ग्रुप में पोस्ट करने वाले इतने जिम्मेदार पद पर है।
बहरहाल अनजाने में ही सही लेकिन तस्वीरों को देखने के बाद स्थित शर्मसार कर रही है. लेकिन ये बच्चिया अपने साथ हुई अमानवीयता की गुहार भी नहीं लगा रही है क्योकि उनको तो पता ही नहीं है की उनके साथ आखिर हुआ क्या है. लेकिन नियमो को बनाने वाले उनका पालन कराने वाले इस पर क्या कार्यवाही करेंगे..