कवर्धा : पृथ्वी में जितने भी जीव जंतु है उन्हें प्रकृति ने बनाया है, हर जीव प्रकृति में खेलता , फलता – फूलता है। और एक दिन प्रकृति के नियमानुसार इसी में समा जाता है फिर वह चाहे कोई भी जीव हो। लेकिन कभी – कभी प्रकृति को कुछ और ही मंज़ूर होता है और इस तरह की आपदाएं अा जाती हैं जिसके चलते कोई अपनी जिंदगी जिए बिना ही इस दुनिया को अलविदा कह जाता है।
हम बात कर रहे हैं उन जानवरो की जिन्होंने प्राकृतिक आपदा से अपने प्राण गवाए है। आय दिन प्राकृतिक आपदा से जान गवाने वाले जानवरो की खबर हम सब सुनते रहते हैं। और ये मामले बरसाती मैसाम में और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं। कही पर आकाशिय बिजली जमीन फाड़ देती है तो कही बाढ़ अा जाती है, जिसमें इंसान तो किसी तरह से अपना बचाव कर ही लेता है लेकिन इन बेजुबान जानवरों का बचाव कोई नहीं कर पाता…
इसी तरह सेदूरखार के आश्रित गांव बांगर में आकाशीय बिजली ने 2 बेजुबान जानवरों की जान ले ली…ये वो प्राणी थे जिनके पैर कभी जमीन पर टिकते नहीं थे। एक पेड़ से दूसरे पेड़ में छलांग मारते हुए इनके दिन बीतते थे। और बंदर का छोटा सा बच्चा, उसने तो अभी – अभी छलांग लगाना ही सीखा था, लेकिन आकाशीय बिजली ने उस नन्हे बंदर को भी अपनी चपेट में ले लिया.. बंदर अपनी मां के सीने से लगे हुए इस दुनिया को अलविदा कह गया..और एक वो मां थी जिसने इस विपट परिस्थिति में भी अपने बच्चे को दूर नहीं होने दिया। जीवन के अंत तक मां ने अपने बच्चे का साथ नहीं छोड़ा उसे सीने से ही लगा के रखा.. हे मां! तुम साक्षात देवी हो..भगवान को तो नहीं देखा पर हां इतना जानते है कि जरूर तेरी तरह ही होगा…