थोड़ी सी चूक में रोज लग रहे प्रबंधन पर आरोप
अम्बिकापुर “दीपक सराठे”
जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की कमी आज की नहीं, बल्कि कई वर्षों की बड़ी समस्या है। स्टाफ की कमी का आलम यह है कि वर्तमान में रात के समय 400 मरीजो की देख-रेख का जिम्मा पांच नर्सों व एक आपातकालीन चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। ऐसे में सभी मरीजों को देख पाना या उनका उपचार सही समय पर कर पाना किस प्रकार संभव है यह समझा जा सकता है। स्टाफ की कमी की वजह से जहां उपचार में चूक रोज हो रही है, वहीं नर्सों के साथ विवाद का सिलसिला भी बदबस्तूर जारी है। बीती रात अस्पताल के पुरूष मेडिकल वार्ड में एक युवक की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हल्ला मचाते हुये ड्यूटी नर्स के साथ गाली-गलौज किया। बाद मेें पुलिस के आने से मामला किसी तरह शांत हो गया, परंतु यह अब रोज की बात हो चुकी है।
वर्तमान में मौसमी बिमारियों के कहर से पूरा अस्पताल अटा पड़ा है। सड़क के दोनों ओर के 300 बिस्तर के अस्पताल में एक ओर 200 बिस्तर के अस्पताल की बात करें तो 200 बिस्तर में 400 मरीज वर्तमान मेें भर्ती हैं। सबसे ज्यादा बच्चा वार्ड जहां लगभग 150 व उसके बाद महिला मेडिकल में लगभग 70 मरीज भर्ती हैं। इस परिस्थिति में भी रात के समय पूरे अस्पताल में मात्र 5 नर्से ड्यूटी करती हैं। इसके अलावा एक आपातकालीन चिकित्सक ड्यूटी पर रहता है। चिकित्सक ड्यूटी के दौरान एमएलसी बनाने, अस्पताल में आये मरीजों की जांच करने व अस्पताल में दाखिल मरीजों को देखने का काम करता है। इतने मरीजों को सही समय पर देख पाना पांच नर्सों की बस की बात नहीं है। आलम यह है कि हर रोज नर्सों को मरीजों के परिजनों की गालियां सुनने को मिल रही है। अस्पताल को मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दर्जा मिलने के बाद भी पुराने ढर्रे या फिर कहें वर्षों पुराने स्टाफ के सेटअप पर काम चलाया जा रहा है, जो कभी भी बड़े विवाद का कारण बन सकता है।
20 दिन 1516 मरीज दाखिल
जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में पर्ची काउंटर से जानकारी के अनुसार इस माह पिछले 20 दिनो में 1516 मरीज दाखिल हो चुके हैं। यह आंकड़ा बच्चा वार्ड, महिला मेडिकल, पुरूष मेडिकल, पुरूष सर्जिकल, महिला सर्जिकल व आईसोलेशन वार्ड का है। इतनी बड़ी तादाद में मरीजों के भर्ती होने व पुराने सेटअप पर आज भी स्टाफ के काम करने से स्टाफ को तो परेशानी हो ही रही है। मरीज व उनके परिजन भी समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण परेशान हैं।
एक माह में 32 नवजात की मौत
अस्पताल में स्टाफ की कमी कहीं न कहीं मरीजों को समय पर उपचार नहीं दे पाने की मुख्य वजह मानी जा रही है। अस्पताल के रिकार्ड रूम के आकड़ो के अनुसार अगस्त माह में लगभग 32 नवजात की मौत इस शासकीय अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में हो चुकी है। यह आंकड़ा भयावह करने वाला है। इसी प्रकार अन्य वार्डों में हुई मौतों से अस्पताल के रजिस्टर भरे पड़े हैं। सारे वार्डों का एक महीने के अंतराल का आंकड़ा लिया जाये तो वहां की अव्यवस्था का एक बड़ा खुलासा हो सकता है। लगातार बढ़ते मौत के आंकड़े व रोज होते विवाद के बाद भी शासन प्रशासन स्टाफ बढ़ाने की ओर आज तक अपने हाथ खींचे हुये हैं।
अस्पताल में सुरक्षा का है बुरा हाल
जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा के दृष्टिकोण से लगभग 21 महिला सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति की गई है। सुबह, दोपहर व रात के समय न सुरक्षा गार्डों की ड्यूटी रहती है। इसके बावजूद अस्पताल से चोरी व नर्सों के साथ बदसलूकी होना आम बात है। वजह यह है कि वहां ड्यूटी पर पदस्थ किये गये महिला सुरक्षा गार्डों की उपस्थिति रात के समय खासतौर पर नहीं रहती। रात 10 बजे के बाद सुरक्षा गार्ड न जाने कहां नदारद हो जाते हैं। बीती रात भी दो घंटे तक पुरूष मेडिकल वार्ड में विवाद चलता रहा। पुलिस भी मौके पर आई थी, परंतु सुरक्षा गार्डों का कोई अता-पता नहीं था।
शासन स्तर पर हो रहा प्रयास-डॉ. सिंह
मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. घनश्याम सिंह ने कहा कि स्टाफ की कमी तो बड़ी समस्या है ही। स्टाफ की कमी दूर करने के लिये शासन स्तर पर प्रयास चल रहा है। फिलहाल दो-तीन दिनों में दोपहर 2 बजे से रात 9 बजे तक आपातकाल में एक चिकित्सक की जगह दो चिकित्सकों की ड्यूटी लगाये जाने की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। इससे एक चिकित्सक ड्यूटी कक्ष में रह सकेगा और दूसरा अस्पताल में दाखिल मरीजों को देख सकेगा। सुरक्षा गार्डो की शिकायत भी आई है। हम उसमें जांच करवा रहे हैं।
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