
महासमुंद। फसल तैयार थी, मेहनत पसीने में बदलकर अनाज के ढेर में तब्दील हो चुकी थी, लेकिन सरकारी सिस्टम की ठप प्रक्रिया एक किसान की उम्मीद तोड़ गई। बागबाहरा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत बोडरीदादर सेनभांठा में रहने वाले किसान मनबोध गांडा धान बेचने के लिए कई दिनों से टोकन कटाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ऑनलाइन में नाम नहीं दिखने और बार-बार दस्तावेज अपडेट करने की बाध्यता ने उन्हें आखिर इतना निराश कर दिया कि शनिवार को उन्होंने आत्मघाती कदम उठा लिया।
कई दिनों से च्वाइस सेंटर के चक्कर लगा रहे मनबोध ने टोकन न मिलने से हताश होकर ब्लेड से खुद का गला रेत लिया। खून से लथपथ हालत में ज़मीन पर पड़े मनबोध को देखकर गांव में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों ने तत्काल परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद परिवार वाले भागते हुए मौके पर पहुंचे और 112 की मदद से उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बागबाहरा ले जाया गया। फिलहाल अपनी ही जान और सिस्टम से लड़ रहे कृषक की हालत नाजुक बताई जा रही है।
जिस किसान के भरोसे खाद्यान्न सुरक्षा चलती है, वही किसान जब अपनी मेहनत बेचने के लिए टोकन तक न प्राप्त कर सके, तो सवाल सिर्फ व्यवस्था पर नहीं, उस संवेदनहीन नीति पर भी उठता है जो किसानों को साल भर की मेहनत के बाद भी अपमान और हताशा का बोझ सौंप देती है। धान खरीदी प्रक्रिया की अव्यवस्था अब केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि किसानों के जीवन पर सीधा प्रहार बनती जा रही है और मनबोध इसका ताज़ा उदाहरण है।
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