बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रतापपुर विधायक शकुंतला पोर्ते की कथित जाति प्रमाण पत्र का जिन एक बार फिर कल सड़कों पर नजर आयेगा..ऐसा इसलिए क्योंकि आदिवासी समाज ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं करने पर अंबिकापुर -बनारस मार्ग में मोरन चौक और संयुक्त जिला कार्यालय परिसर के पास एनएच 343 पर चक्का जाम करने का अल्टीमेटम दे दिया है..वही कल देखने वाली बात यह होगी की जिलास्तरीय छानबीन समिति दोनों पक्षों को सुनने के बाद क्या कदम उठाती है..क्योंकि इस मामले में अबतक 3 बार सुनवाई हो चुकी है..
भाजपा विधायक शकुंतला पोर्ते की जाति प्रमाण पत्र का विवाद साल 2025 में फरवरी के महीने में सामने आया था..जिस पर आदिवासी समाज के नेताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था..और हाईकोर्ट ने साल 2001- 02 में एसडीएम वाड्रफनगर द्वारा बनाई गई जाति प्रमाण पत्र की सच्चाई जानने कलेक्टर बलरामपुर को जिला स्तरीय छानबीन समिति गठित कर जाति प्रमाण पत्र से संबंधित अभिलेखों की पड़ताल करने को कहा था..और अब दस्तावेजी पड़ताल सत्यापन समिति कर रही है..दोनों पक्षों के अधिवक्ता अपना पक्ष रख रहे है।
लेकिन विधायक के अधिवक्ताओं का कहना है कि जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने की कार्यवाही का प्रावधान सत्यापन समिति को नहीं है..तो वही दूसरी ओर आदिवासी समाज जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने की मांग को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ने के मूड में नजर आ रहा है!.
विधायक पोर्ते की जाति प्रमाण पत्र को फर्जी करार दिये जाने को लेकर आदिवासी समाज के नेताओं का तर्क है, कि उनका जाति प्रमाण पत्र उनके पति के पैतृक दस्तावेजों के आधार पर बना है..जबकि जाति प्रमाण पत्र पिता के पैतृक दस्तावेजों के आधार पर बनता है..वैसे जाति प्रमाण पत्र का जो फॉर्मेट होता है..उसमें पिता या पति दोनों के नामों का कालम होता है..खैर छत्तीसगढ़ में जाति विवाद कोई नया मुद्दा रहा नही है..ऐसे कई मुद्दे आये और समय के साथ चले भी गये।
बहरहाल कल इस मामले में सुनवाई होनी है.. कलेक्टोरेट परिसर के 500 मीटर की परिधि में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 विद्यमान है..और कड़ी सुरक्षा के बीच कथित जाति प्रमाण पत्र प्रकरण पर सुनवाई होनी है..ऐसे में अब देखने वाली बात होगी की सुनवाई में तारीख बढ़ती है..या फिर कुछ नये तर्क सामने आने के बाद सत्यापन समिति क्या निर्णय लेती है।
