Karma Pratiyogita Navapara kalan: आदिवासी (बूढ़ादेव) लोक संस्कृति समिति मेढ़लीपारा नाम सरगुजा अंचल में एक ब्रांड की तरह सामने आ रहा हैं। धीरे-धीरे आदिवासियों का रीति-रिवाज, कलां एवं संस्कृति का हब बनते जा रहा हैं। दरअसल, इस समिति द्वारा पिछले 10 सालों से आदिवासियों का रीति-रिवाज, कलां एवं संस्कृति को बचाने के लिए करमा प्रतियोगिता का आयोजन करते आ रहे हैं। बीते 1 अक्टूबर दिन रविवार को इसका दसवां आयोजन संपन्न हुआ, जो अब तक का बड़ा और शानदार आयोजन था। जिसमें क़रीब 9 से 10 हजार के बीच लोग आए हुए थे। जो आस-पास के ही गांव के थे। गंगोटी के करमा टीम ने लगातार दूसरी बार प्रतियोगिता का ट्रॉफी जीतने में कामयाब रही। प्रेमनगर का नवापारा कलां गांव पहले ही से बहुचर्चित गांव रहा हैं। लेकिन, इसका चर्चा अब तेज़ी से होने लगा हैं, इसका कारण हैं मेढ़लीपारा में संभाग स्तरीय करमा प्रतियोगिता का आयोजन होना हैं।
हर साल सितंबर माह में होता हैं ये करमा –
सितंबर महीने में पिछले दस सालों से करमा प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा हैं। इस आयोजन के लिए इस एक समिति बनाया गया हैं, जिसका नाम हैं “आदिवासी (बूढ़ादेव) लोक संस्कृति” इसी समिति के चलते हर साल भव्य स्तर का आयोजन सफल हो पाता हैं। इसमें अनुकसाय टेकाम (अध्यक्ष), रनसिंह टेकाम (उपाध्यक्ष), गौटिया सिंह आर्मो (सचिव) और लालदेव टेकाम (कोषाध्यक्ष) हैं। इस साल यह आयोजन सितंबर माह में न होकर अक्टूबर महीने के एक तारीख़ को हुआ। जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों से 29 टीमों ने हिस्सा लिया और अपने आकर्षक पारंपरिक वेशभूषा के साथ कला का प्रदर्शन किए। सभी टीमों में पुरुष एवं महिलाएं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिए। इस करमा प्रतियोगिता में सब कुछ वास्तविक होता हैं। जैसे- गाना, बजाना और नाचना। कुछ भी रिकॉर्डेड फॉर्म में नहीं रहता हैं।
लगातार दूसरी बार गंगोटी के टीम ने जीती ट्रॉफी –
आयोजन स्थल से लगभग 45 किलोमीटर दूर गंगोटी के सती करमा टीम की शानदार प्रदर्शन और आकर्षक पारंपरिक वेशभूषा ने 6 सदस्यीय निर्णायक मंडल की दिल जीत लिया और अपने ट्रॉफी को रिटेन करने में कामयाब हो पाए। इतना ही नहीं पिछले साल के दूसरा स्थान प्राप्त करने वाला खेला आमाडार करमा टीम प्रेमनगर ने इस साल भी दूसरा स्थान हासिल लिया। वहीं, जय बुढ़ादेव करमा टीम देवना ने अपना स्थान तीसरे नंबर पर बनाया। सभी को क्रमश: 94.5, 90 और 84 अंक प्राप्त हुए थे। इन सभी टीमों को समिति द्वारा निर्धारित प्रोत्साहन राशि से साथ ट्रॉफी दिया गया।
इस तरह होती हैं विजेताओं का फैसला –
आदिवासी (बूढ़ादेव) लोक संस्कृति समिति मेढ़लीपारा द्वारा हर साल निर्णायक दल बनाया जाता हैं। जिसके बदौलत विजेता, उप विजेता टीमों का फैसला हो पाता हैं। इस बार उस में 6 लोग शामिल थे। जिसमें टीमों की अनुसाशन के लिए बलबीर श्याम थे, इसमें अधिकतम 10 अंक देने का प्रावधान था। इसी तरह पोषाक के लिए रामविलास सरपंच कनकपुर थे, इसमें भी अधिकतम 10 अंक देने का प्रावधान था। साज-सज्जा के लिए लालदेव टेकाम थे, इसमें अधिकतम 20 अंक देने का प्रावधान था। बूढ़ादेव से भावनात्मक गीत के लिए तिलक श्याम थे, इसमें अधिकतम 20 अंक देने का प्रावधान था। पारंपरिक करमा नृत्य के लिए भजन सिंह मरकाम
थे, इसमें भी अधिकतम 20 अंक देने का प्रावधान था। और गायन वादन के लिए ठाकुर सिंह कोराम थे, इसमें अधिकतम 20 अंक देने का प्रावधान था। इस तरह कुल 100 अंक होता हैं। इन सभी निर्णायक दलों द्वारा दिए गए अंक के आधार पर प्रथम, दूसरा, और तीसरा स्थान प्राप्त होता हैं। जिस टीम को सबसे ज्यादा अंक मिलता हैं। वहीं टीम विजेता बन जाता हैं। इन सभी निर्णायक दलों को आयोजन समाप्त होने के बाद समिति द्वारा श्रीफल और पीला गमछा देकर समान्नित किया गया।
समिति देती हैं जल-पान
हर साल समिति द्वारा दूर दराज से आए हुए बच्चे, जवान और बूढ़े लोगों के लिए नाश्ता का व्यवस्था किया जाता हैं। जिससे कोई भी व्यक्ति भूखे न रहे। इसके लिए बाहर से नाश्ता नहीं मंगाया जाता हैं, समिति के ही कुछ लोग बनाते हैं। और खिलाते भी हैं।
लोग क्यों कहते हैं इसे गोंडवाना करमा.?
दरअसल, सरगुजा संभाग के जिस क्षेत्र में यह आयोजन होता हैं। वह इलाका आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं। और इस क्षेत्र में ज्यादातर लोग गोंड समाज के लोग ही निवास करते हैं। इसके साथ ही करमा पर्व गोंड आदिवासी समाज के ही ज्यादातर मानते हैं। इसलिए इस करमा को आस-पास के लोग गोंडवाना करमा के नाम से जानते हैं। इसका कोई अधिकृत या पारित या लोगों द्वारा नाम नही रखा गया हैं। केवल लोग कहते हैं। इसमें एक लाइन कहते हुए सुना जाता हैं। की नवापारा में गोंडवाना करमा होता हैं।
इस आयोजन को शानदार बनाने के लिए नेता, अधिकारी और समाजसेवी लोगों के बुलाया गया था, जिसमें क्षेत्रीय विधायक खेलसाय सिंह, राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के सचिव शशि सिंह, मोहन सिंह टेकाम, सिंगारो बाई, तुलसी यादव एवं अन्य लोग मौजूद रहे। जिन्होंने ने अपने उद्बोधन में आए हुए समस्त लोगों को इस करमा प्रतियोगिता के महत्व के बारे में जानकारी दिए और इनमें से कुछ लोग इस भव्य आयोजन को देखकर सहयोग राशि भी समिति को भेंट किए। इसके अलावा इस आयोजन को सफल बनाने के लिए वॉलिंटियर, पुलिस प्रशासन और गांव के समस्त लोगों का भी योगदान रहा हैं।
करमा नृत्य का आयोजन के आखरी फेज में आरबी सिंह (प्राचार्य आत्मानंद स्कूल प्रेमनगर), ठाकुर सिंह कोराम (प्राचार्य एकलव्य आदर्श विद्यालय प्रेमनगर), दिलसाय मरपच्ची (अधीक्षक, बालक आश्रम प्रेमनगर), अनुकसाय टेकाम (अध्यक्ष आदिवासी बूढ़ादेव लोक संस्कृति समिति मेढ़लीपारा नवापाराकलां) और राजेंद्र टेकाम (समाज कल्याण अधिकारी, चांपा, छत्तीसगढ़) द्वारा आशीर्वचन के रूप में भाषण दिया गया।
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