- घर मे घुस कर दो युवको ने किशोरी से किया दुष्कर्म
- परिवार की बेईज्जती के कारण किशोरी ने की आत्महत्या
- शव को लाने के लिए शव वाहन तक नही हुआ नसीब
- पुलिस मामले मे आरोपियो की नियत का दे रही थी सर्टिफिकेट
बैंकुठपुर
ध्रुव द्विवेदी
कोरिया जिले के जनकपुर थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम पंचायत सेमरिया के एक गांव में रहने वाले एक आदिवासी ग्रामीण की नाबालिग बेटी के साथ गांव के दो दंबग युवको ने अनाचार किया। इस मामले में जनकपुर पुलिस द्वारा सामान्य सी धारा लगाकर मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया गया। जिसके बाद परिवार की बदनामी और युवको की प्रताड़ना से तंग आकर नाबालिग आदिवासी ने घर में फांसी लगा ली। इस घटना ने कोरिया जिले के पुलिस की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है।
जनकपुर के दो दंबग युवक गांव की एक नाबालिग को बंधक बनाकर उसके साथ अनाचार कर रहे थे और तीसरा युवक पहरेदारी कर रहा था तभी गांव के लोगों ने युवती के चीखने की आवाज सुनी तो किसी प्रकार घेराबंदी कर दो युवको को पकडा, लेकिन तीसरा युवक मौके से फरार हो गया । युवको को पकडने के बाद ग्रामीणों ने थाना जनकपुर फोन किया। जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने मौके पर पहुंच कर दोनों युवको को हिरासत में लेकर थाने पहुंचे। इस दौरान पुलिस ने चोरी करने की नियत से घर में घुसने का आरोप लगाकर अपराध दर्ज कर युवको को गिरफ्तार कर लिया था । जबकि पहरेदारी करने वाले तीसरे युवक को बचाने की नीयत से पुलिस ने उसके बारे मे अब तक कोई जानकारी एकत्र नही की है। गौरतलब है कि मामला बीते रविवार का है और पुलिस ने घटना के बाद ही दो आरोपियो के हिरासत मे ले लिया था, फिर भी ना जाने क्यो पुलिस ने आरोपियो को अब तक ना ही न्यायालय मे पेश किया और ना ही घटित अपराध के तहत उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज किया। लेकिन अब जब युवको की प्रताडना और लोक लाज से बचने किशोरी ने आत्महत्या कर ली , तब जाकर जनकपुर पुलिस की करस्तानी सतह पर आई है। लिहाजा आरोपियो से संभावित लाभ की जुगत लगाई जनपुर पुलिस के लिए किशोरी के साथ दुष्कर्म फिर आत्महत्या का मामला गले की हड्डी बन गया है। जिसको पुलिस अब तक चोरी की नियत से घर मे घुसने का मामला बता कर पुलिस आरोपियो को बचाने का प्रयास कर रही थी।
ऐसा हुआ पोस्टमार्टम… और कैसे पहुंचा शव
घटना के बाद नाबालिग का पिता किसी काम से बाहर चला गया। इस दौरान घर में कोई नहीं था। तब परिवार की बदनामी और युवको की धमकी से डरकर पीडिता ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शुक्रवार की दोपहर लगभग 11 बजे पोस्टमार्टम शुरू हुआ। वह भी ऐसे कक्ष में जहां पोस्टमार्टम की हर क्रिया बाहर से दिखाई दे रही थी। पोस्टमार्टम होने के बाद मृतिका के पिता शव लेने के लिए जब चीरघर के पास पहुंचे तब वहां मौजूद रंजीत नामक स्वीपर ने पहले एक हजार रूपये की मांग की। किसी प्रकार कहने सुनने पर 500 रूपये लिये बिना उसने शव नहीं देने की बात कही, और फिर बेबस पिता ने किसी प्रकार इधर उधर से मांगकर पैसों का इंतजाम करने के बाद जब शव को घर ले जाने की तैयारी की, तो किसी प्रकार के शव वाहन ना होने पर लाचार पिता ने किराये का वाहन लेकर बेटी के शव को लेकर घर पहुंच पाए ।
अब सवाल उठना लाजमी
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि शव को ले जाने के लिए अस्पताल द्वारा व्यवस्था की जानी है तो आखिर अस्पताल द्वारा वाहन की व्यवस्था क्यों नहीं कराई गई। वहीं जब ग्रामीण थाने पहुंचकर मृतिका के साथ अनाचार की बात बता रहे थे तो आखिर उसी दिन पुलिस ने भादवि की धारा 376 व पास्को एक्ट के तहत अपराध क्यों नहीं दर्ज किया ? नाबालिग के साथ जब सामूहिक दुष्कर्म हुआ तो आखिर पुलिस ने ग्रामीणों व परिजनों के कहने के बाद भी चोरी करने की नियत से घुसने के संबंध में अपराध क्यों दर्ज किया। मीडिया की पहल पर पुलिस ने फिलहाल दोनों आरोपियों के विरूद्ध आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का अपराध दर्ज कर लिया है। वहीं अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के लिए पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। अब सवाल यह उठता है कि इस मामले में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कब और क्या कार्यवाही होगी ?