जशपुर (मुकेश कुमार सिंगीबहार) भारी बारिश से जशपुर पानी – पानी हो गया है। फटाफट न्यूज डॉट कॉम इस आफत की बारिश के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है । आम जनजीवन तो अस्त-व्यस्त है ही इसके अलावा इस समय सबसे ज्यादा असर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ रहा है। कहीं बच्चे छाता लेकर पढ़ रहे हैं तो कहीं क्लास रूम खाली है और बच्चे बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं।
जशपुर में कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला ने बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता रखा है और इसका असर यह हुआ कि दसवीं और बारहवीं में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों ने राज्य स्तर पर अपना दम दिखाया। इस सुखद पहलू के साथ इस बारिश ने एक दुखद पहलू को सामने लाया जो स्कूल भवनों की खराब गुणवत्ता से जुड़ा है। हमने पहले भी जर्जर स्कूलों में टपकती छतों के नीचे अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ते और शिक्षकों को पढ़ाते दिखाया है। आज छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसे गाँवों का जायजा लिया तो स्कूल ही रेनकोट पहने मिले। ये फरसाबहार विकासखण्ड का भंडारपारा प्राथमिक स्कूल है। इसके अंदर जाने पर देखिये बरामदे में बच्चे बैठे हैं और अंदर के दो क्लास रूम खाली हैं। ये बारिश के मौसम में आम बात है।
शिक्षकों की मानें तो गुणवत्ताविहीन भवन निर्माण और फिर बाद में मरम्मत के नाम पर कागजो में खानापूर्ति के कारण बच्चों के साथ ही शिक्षक भी परेशान है। अनुराधा कहती है मैं पांचवी में पढ़ती हूँ और मेरा क्लास पानी में डूबा हुआ है।कक्षा पहली से पांचवी तक के सभी स्टूडेंट बरामदे में पढ़ रहे हैं। जितेंद्र कुमार सिंह,प्रधानपाठक कहते हैं कि क्या करें मजबूर हैं,मांग पत्र भेजते हैं। मरम्मत होने की बात कहकर मांग का निराकरण कर देते हैं। हर साल प्लास्टिक का तिरपाल खरीदकर स्कूल को ढंकता हूँ। इसके बाद भी पानी टपकता है तो क्या करूँ? यही हाल ग्यारटोली,जुनाडीह प्राथमिक शाला का है। जहां कई बार शाला भवन में पानी टपकने से चुपचाप छुट्टी भी करनी पड़ी।
वहीं नारायणपुर प्री मैट्रिक कन्या हॉस्टल में बारिश का पानी घुस गया है। कछुआकानी प्राथमिक शाला का यह भवन भी बारिश में ढह गया। वो तो गनीमत यह रही कि इस भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए शिक्षकों ने अतिरिक्त कक्ष में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था,,,वर्ना एक बड़ा हादसा होने की पूरी संभावना थी। जिला पंचायत अध्यक्ष गोमती साय ने स्कूलों का दौरा कर तत्काल राहत दिलाने का भरोसा दिया है।