
अम्बिकापुर
देश भर मे महिलाओ को सशक्त बनाने की तमाम कोशिशो के बीच अम्बिकापुर मे ये कोशिश रंग लाने लगी है, अम्बिकापुर मे ठोस एंव तरल अपशिष्ठ प्रबंधन मे लगी महिलाए अब अपने जीविका के साधन को सशक्त बनाने के लिए जमकर पसीना बहा रही है। ऐसे ही जीविका के साधन के लिए शहर के सबसे खूबसूरत मैरिन ड्रायव मे इन दिनो महिला समूह की महिलाए बतख पालन का काम कर रही है, जिससे होने वाले अंडे महिलाओ की जीविका का साधन बन रहे है। जिसमे निगम प्रबंधन द्वारा आर्थिक मदद तो पशु चिकित्सको द्वारा तकनीकी सलाह दी जा रही है।
पिछले कुछ वर्षो से शहर के खूबसूरत मैरिन ड्रायव तालाब मे एक अजीब तरह के सैवाल और कीडे मकौडो की वजह से तालाब की सुंदरता मे ग्रहण लग गया था, जिसको देखते हुए इस बार निगम प्रबंधन ने तालाब मे बतख पालन कर तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य शुरु किया गया है, जिसके लिए निगम प्रबंधन द्वारा बिलासपुर पोल्ट्री फार्म से 87 हजार कीमत की 500 बतख की खेप अम्बिकापुर लाई गई है। जिसमे लेयर ब्रीड की खाखी केमबेल बतख और ब्रायलर ब्रीड की व्हाईट पैकिंग बतख शामिल है। इन बतखो मे खाखी केमबेल नामक लेयर ब्रीड की बतख जंहा एक साल मे लगभग 300 अंडे देगी , तो वही ब्रायलर ब्रीड की व्हायट पैकिंग बतख तकरीबन 250 अंडा देगी।
बतख पालन के तीन फायदे
बतख पालन योजना को सफल बानने मे लगे पशु चिकित्सक और तकनीकि सलाहकार डाँ सी के मिश्रा बताते है कि बतख पालन से तीन तरह के फायदे होगे जिसमे पहला इन बतखो के भोजन के रुप मे उस फिश वेस्ट का उपयोग किया जा रहा है ,जिसको फिश मार्केट मे बिमारी फैलाने के लिए फेंक दिया जाता है। दूसरा ये तालाब मे घूम कर पानी के कीडे मकौडे को बतख खाएगी जिससे पानी साफ होगा और तीसरा ये बतख बायोलॉजिकल कंट्रोल आफ मलेरिया के लिए काफी कारगर होती है।
पशु चिकित्सक बताते है कि बतख बायोलॉजिकल कंट्रोल आफ मलेरिया के लिए उपयुक्त है.. और तालाब की कीट को भी बतख खाते है,,,और बतख पालन के ऐसे ही फायदो को देखते हुए जहाँ निगम प्रबंधन और पशु चिकित्सक काफी उत्साहित है, तो वही समूह की वो महिलाए बुलंद हौसलो के साथ बतख पालन के काम मे जुट गई है। जो इससे पहले केवल घर की चारदीवारी के भीतर रहकर घरेलू काम करती थी।