दीपक सराठे (स्पेशल खबर)
सरगुजा में कुष्ठ रोगियों के आंकङे भयावह
आठ माह में दर्ज हुए 168 केश, शहर में ज्यादा रोगी
सरगुजा में कुष्ठ रोग से पीङित लोगो का दर्ज आंकङा चौकाने वाला है पिछले आठ माह में सरगुजा जैसे आदिवासी अंचल में विभाग ने कुष्ठ से संबंधीत 168 केश सामने लाए है । विभाग के अनुसार यह तो सिर्फ दर्ज आंकङे है ,स्थिती इस कदर खराब है कि लोग सामने नही आना चाहते । अगर वे सामने आए तो कुष्ठ रोगियों का आंकङा यहां भयावह हो सकता है। कुष्ठ विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. पी.के.सिन्हां की तारिफ करनी होगी कि उनके मार्गदर्शन में सरगुजा के विभिन्न अंचलों सहित शहर के विभिन्न वार्डो में लगाए गए कैम्प से 168 कुष्ठ रोगी न सिर्फ सामने आए बल्कि वर्तमान में उनका उपचार सुचारु रुप से किया जा रहा है। विभाग का मानना है कि जब तक कुष्ठ रोग से ग्रसित लोग सामने नही आएंगे तो हमारे द्वारा स्थिती को नियंत्रित करना काफी कठिन हो जाएगा। सर्वे की माने तो कुष्ठ रोग को लेकर छत्तीसगढ काफी ज्यादा संवेदनशील इलाका है । सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा कुष्ठ रोगी छत्तीसगढ के विभिन्न इलाको में हैं। अम्बिकापुर शहर में सरगुजा के विभिन्न अंचलों से ज्यादा कुष्ठ के मरीज मिलने का दावा कुष्ठ विभाग ने किया है ।कुष्ठ को सरगुजा से समाप्त करने व उसे नियंत्रित करते हुए विभाग द्वारा कई जागरुकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे है। दो दिन पहले सीएमओ कार्यालय से स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा कुष्ठ को लेकर जागरुकता भी निकाली गई थी । इसके बाद जिला अस्पताल सभा गृह में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था । कार्यशाला में सरगुजा में निरंतर बढते कुष्ठ रोगियों के आंकङो पर गंभीर चिंता जाहिर की गई । शासन के द्वारा कुष्ठ को दूर भगाने के लिए प्रति वर्ष मोटी रकम खर्च की जाती है परंतु धरातल पर उसका कितना क्रियान्वन हो रहा है यह सरगुजा में पिछले आठ महीनों में मिले कुष्ठ रोगियों के आंकङों से स्पष्ट होता है । विभाग का दावा है कि उनकी तरफ से कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए लगातार शिविर लगा कर मेहनत की जा रही है परंतु कुष्ठ की बीमारी से ग्रसित लोगो के सामने नही आने की मानसिक्ता से विभाग अपने लक्ष्य को नही पा सका है। जितने कुष्ठ रोगी आठ माह में मिले है उनमें सबसे ज्यादा संख्या शहर के नवागढ क्षेत्र की है । आखिर इस क्षेत्र में कुष्ठ रोगियों के बढने का कारण क्या है , विभाग इस पर भी चिंतन में लगा हुआ है।