अम्बिकापुर..(उदयपुर/क्रान्ति रावत)..सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विधानसभा अंतर्गत उदयपुर ब्लॉक से 37 किलोमीटर दूर स्थित नवीन ग्राम पंचायत बुले का कानाडांड पारा मूलभुत सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहा है. यहां महिला पुरूष और बच्चे बुजुर्गाें को मिलाकर आबादी 200 के करीब है. सरकारी सुविधा के नाम पर यहां क्रेड़ा से प्रदत्त सौर लाईट है. जो कि सायं 06 बजे के बाद चालू होता है व् सुबह 06 बजे बंद कर दी जाती है. नौनिहालों के लिए एक आंगनबाड़ी तो है लेकिन वहां पानी की सुविधा नही है.
सरकारें आती रही. जाती रही. लेकिन यहां के लोगों की समस्याएं आज भी जस की तस है. इनकी समस्याओं का समाधान कब होगा इसका किसकी के पास कोई जवाब नही है. यहां ना तो लोगों के लिए पीने के लिए पानी की सुविधा है और ना ही आने जाने के लिए अच्छी सड़क. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी. की यहां बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के लिए सरकार की ओर से एक प्राथमिक विद्यालय तक नहीं बनवाया गया है. पीने के पानी लाने के लिए यहां की महिलाएं को एक से दो किलामीटर दूर पैदल चलकर पड़कीनाला जाना पड़ता है. वहां बहने वाले बारहमासी जिंदानाला से पानी भरकर आते है कई सालों से यही सिलसिला जारी है. गांव के ग्रामीणजनो द्वारा इन समस्याओं को लेकर शिकायत दर्जनों बार जनपद से लेकर जन समस्या निवारण शिविर तक में किया गया. लेकिन आज तक समस्या का कोई समाधान नहीं निकला. इस गांव के रहने वाले लोग यहां किसी तरह पहुंच तो जाते है लेकिंन बाहर से आने जाने वाले लोगों के लिए यहां पहुंचना कोई किला फतह करने से कम नहीं है.
यहां पहुँचने के लिए उदयपुर से केदमा मार्ग में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से होकर पहले कुदर बसवार गांव जाना पड़ता है. फिर वहां से कच्चा मार्ग पकड़कर पहले धनुडांड, फिर बिना पुल के रेड़ नदी को संघर्ष करके पार करना होता है. इसके बाद कहीं कानाडांड पारा में पहुंचा जा सकता है. बारिश के दिनों में यह पारा पहुंचविहीन हो जाता है. इसी बस्ती के बगल में स्थित नागवंशीपारा में भी हैण्डपम्प नहीं है. हर्राडांड, चांपा डांड पारा में एक एक हैण्डपम्प है उसका पानी भी लाल मटमैला निकलता है. ऐसा नही है कि कोई बड़ा नेता यहां नही पहुंचा हो वर्तमान में प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री और स्थानीय विधायक टी.एस.सिंहदेव अपने पहले विधायकी चुनाव में लोगों से वोट मांगने इस गांव में एक बार आए हुए थे. लेकिन चुनाव जितने के इस बाद गांव के विकास के लिए किए गए अपने सारे वादे भुल गए.
स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से इस मोहल्ले की स्थिति सबसे खराब है. मरीजों और गर्भवती माताओं को डिलवरी के समय बरसात के मौसम खाट में ढोकर नदी पार तक पहुंचाना पड़ता है. इसके बाद आगे का सफर 102 या निजी वाहन से संभव हो पाता है. सामान्य दिनों में भी यहां नागवंशीपारा मोती घर तक ही चार पहिया वाहन पहुंच पाता है. पूर्व के सरकार के विकास की बात छोड़िए यहां वर्तमान सरकार के गठन को एक साल पूरे हो गए. परंतु इस गांव की समस्या यथावत् बनी हुई है. चर्चा के दौरान गांव के आसन कुजूर, प्रेमसाय, जेठू राम, बुढ़न साय, जोहन खलखो, मजनू, दुल्ली राम ने सरकार से मांग की है. की जल्द से जल्द हमारे गांव की समस्या का समाधान करें. जिससे हम लोगों को राहत मिले.
इस संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी पारस पैकरा ने कहा कि जांच कराकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान कराया जाएगा.