[highlight color=”black”]अम्बिकापुर[/highlight] [highlight color=”red”]देश दीपक “सचिन”[/highlight]
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अम्बिकापुर में आदिवासियों के दो अलग अलग समुदाय ने रैली निकालकर समाज के उत्थान के लिए जन जाग्रती का सन्देश दिया। आदिवासी समाज की इस रैली में सरगुजा में दो फाड़ दिखी। यहाँ इसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों ने अलग और अब तक सनातन धर्म को ही मन रहे आदिवासियों ने अलग अलग रैलिया निकाली। गौरतलब है की अखिल भारतीय जन जाती सुरक्षा मंच के द्वारा इस रैली का में स्कूली बच्चो को शामिल किये जाने का विरोध भी किया गया। और इसाई समाज की रैली में स्कूल यूनिफार्म में बच्चे देखे भी गए।
अम्बिकापुर मुख्यालय में विश्व आदिवासी दिवस मनाने के लिए पूरे शहर में रैली निकाल कर समाज हित के नारे लगाए गए। बड़ी बात यह है की इस कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज दो अलग अलग फाड़ में देखे गए। जहा इसाई समाज के आदिवासियो ने और हिन्दू धर्म को मानने वाले आदिवासियों ने अलग अलग रैलियों के माध्यम से विश्व आदिवासी दिवस मनाया। आदिवासी समाज द्वारा आयोजित इस रैली में समाज के अध्यक्ष का कहना है की इनकी रैली में स्कूली बच्चे नही है और यह रैली पूरे समाज की है उसमे बूढ़े बच्चे जवान महिलाए सभी सामिल हुए है। इन्होने यह भी बताया की स्कूली बच्चो को रैली में शामिल करने के लिए ये कलेक्टर से अनुमति लेने गए थे लेकिनकलेक्टर से मुलाक़ात नहीं हो सकी ।
वही अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा संघ ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिख कर यह शिकायत की है की इस आयोजन में पूर्व में भी स्कूली बच्चो का उपयोग किया जा हुका है जो गैरकानूनी है। और जिलाशिक्षा अधिकारी से इस जुलूस पर रोक लगाने की मांग की है। गौरतलब है की अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा संघ ने यह आरोप भी लगाया है विश्व आदिवासी दिवस है ही नहीं तो फिर इसे मनाया क्यों जा रहा है।
बहरहाल आदिवासी समुदाय की रैली दो हिस्से में बटी हुई थी और इस पर इसाई धर्म की रैली में स्कूली बच्चो की उपस्थिति का आरोप और फिर रैली में स्कूली बच्चो का देखा जाना वाकई मे बच्चो के मनवाधिकार का हनन है। लिहाजा अखिल भारतीय आदिवासी सुरक्षा संघ ने पूर्व राष्ट्रपति स्व.ए.पी.जे अब्दुल कलाम के आदेश का हवाला देते हुए इन लोगो पर कार्यवाही की मांग की है और बच्चो के भविष्य को सुरक्षित करने की भी अपील की है।