.अमित जोगी ने राज्यपाल से भेंटकर दी असंवैधानिक-आपराधिक संशोधन की जानकारी।
.दोषियों के विरूध धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि के तहत कार्यवाही किया जाए।
. मनमानी कानून में संशोधन कर किया राज्यपाल के कार्य और शक्तियों का हनन।
.राज्यपाल को अंधेरे में रखकर, चुनावी लाभ के लिए सरकार ने किया कानून में संशोधन।
.छत्तीसगढ़ में संवैधानिक तंत्र विफल, अवैधानिक और आपराधिक तंत्र सफल।
रायपुर- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा छतीसगढ़ में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो गया हैं, कांग्रेस राज में कानून का राज खत्म हो गया हैं, डेमाके्रसी में ब्यूरोक्रेसी हावी हो गई हैं। अमित जोगी ने इसका ताजा उदाहरण देते हुए कहा विगत दिनांक 24 सितंबर 2020 को छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) छत्तीसगढ़ शासन के राज्यपाल के नाम से और उनके आदेशानुसार जारी किया गया है। भारतीय संविधान के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि राज्यपाल के नाम पर अधिसूचना जारी की गई है परंतु उसकी सूचना राज्यपाल तक को नही दी गई है।
अमित जोगी ने कहा यह संविधान से जुड़ा गंभीर मामला हैं जिसमें राष्ट्रपति के प्रतिनिधि और राज्य के संविधान प्रमुख राज्यपाल के कार्य और शक्तियों का हनन किया गया । यह संविधान के साथ सीधे सीधे धोखाधड़ी है। अमित जोगी दिनांक 24 सितंबर 2020 को जारी छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जारी प्रकाशित छत्तीसगढ़ राजपत्र पर सवाल खड़ा करते हुए कहा आखिर महामहिम राज्यपाल के नाम पर किसने हस्ताक्षकर किए ? आखिर राज्यपाल पर जो अधिसूचना जारी की गई उसकी सूचना राज्यपाल को क्यों नहीं दी गई ? जिसने भी कूटरचित हस्ताक्षर किए है उस व्यक्ति ने महामहिम राज्यपाल के नाम और उनके पद का दुरूपयोग किया हैं, संविधान का मजाक बनाया हैं और संविधान का मखौल उड़ाया हैं, ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, धोखाधड़ी, कूटरचना, अपराधिक षडयंत्र की कार्यवाही निर्धारित किया जाना चाहिए।
अमित जोगी ने कहा राजनीति के लिए छत्तीसढ़ राजपत्र का दुरूपयोग किया गया हैं और चुनावी लाभ प्राप्त करने के लिए संविधान को ताक में रखकर अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ावर्ग अधिनियम 2013 में विधी के विरूध्द निम्नानुसार संशोधन किया गया हैं –
- जिला छानबीन समिति का गठन कलेक्टर कर सेकेंगे ( इसे पहले राज्यपाल गठित करते थे )
- उस में 5 सदस्य रहेंगे ( पहले 6 सदस्य थे )
- अधिकतम 15 दिन जवाब नहीं मिलने पर उसको एक – पक्षीय प्रमाण पत्र निलम्बित करने का अधिकार प्राप्त होगा ( इसके
पहले उसेप्रमाण पत्र रद्द करने का कोई अधिकार नहीं प्राप्त था ) - राज्य छानबीन समिति बिना सतर्कता समिति का गठन किए केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर प्रमाण पत्र निरस्त
कर सकेगी ( पूर्व में बिना सतर्कता समिति की सम्पूर्ण जाँच के राज्य समिति प्रमाण पत्र निरस्त नहीं कर सकती थी )
उक्त संशोधन असंवैधानिक और आपराधिक हैं।
अमित जोगी ने कहा मेरे द्वारा राज्यपाल महोदया सुश्री अनुसूईया उइके जी से भेंटकर उक्त असंवैधानिक और आपराधिक संशोधन की जानकारी उनके संज्ञान में दिया गया हैं और मुझे विश्वास है कि वो सरकार से इस संबंध में जरूर स्पष्टीकरण मांगेगी।
अमित जोगी ने कहा जब संसद कोई विधेयक/बिल को पारित करती है उसपर जब तक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं होते तब तक कानून नही बनता है। उसी प्रकार कोई भी कानून या संशोधन तब तक अस्तित्व में नहीं आता जब तक उसमें राज्यपाल के नाम से जारी न किया जाए। 24 सितंबर की रात को राज्यपाल महोदया के नाम से जो अधिसूचना जारी की गई उसकी सूचना ही राज्यपाल को नहीं दी गई हैं। यह कृत्य जनता के साथ, संविधान के साथ और हमारे लोकतंत्र के साथ धोखा हैं।