रायपुर। राजनांदगांव के चिखली निवासी 28 वर्षीय जीवन पटेल ने बताया कि कोविड-19 की बीमारी से लडऩे के लिए मन में हिम्मत रखना बहुत जरूरी है। सकारात्मक सोच और इलाज के साथ इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना से डरना नहीं है, लडऩा है।
जीवन ने बताया कि वे कृषि विभाग में लैब सहायक के पद पर कार्यरत हैं और चिखली में अपने नौकरी की वजह से अकेले रह रहे हैं। सैम्पल देने के बाद पॉजिटिव होने पर 4 दिनों तक घर पर होम आईसोलेशन में रहे। अचानक तबियत खराब होने पर मैंने एम्बुलेंस 112 में फोन कर यह सूचना दी कि मैं गंभीर रूप से बीमार हूं और लगातार बुखार और खांसी आ रही है। एम्बुलेंस की सुविधा मुझे तत्काल मिली और मैं डेडिकेटड कोविड-19 हॉस्पिटल पेण्ड्री में 4 अप्रैल को एडमिट किया गया। उन्होंने बताया कि गंध का पता नहीं चलने की वजह से भोजन लेने की इच्छा नहीं हो रही थी और लगातार बुखार एवं उल्टी हो रही थी।
मैं यह समझ गया था कि 14 दिन का यह कठिन समय किसी तरह काटना है और हिम्मत से ही इस परिस्थिति का सामना करना है। हॉस्पिटल में समय पर नाश्ता, दोपहर एवं रात्रि को भोजन तथा चाय मिल रही थी। समय पर दवाईयां और इलाज मिलने से धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होने लगी और स्वास्थ्य में सुधार हुआ। उन्होंने बताया कि खाने की इच्छा नहीं होने पर भी वे दिनभर थोड़ा-थोड़ा फल और भोजन लेते रहते थे और दवाईयां लेने में कभी चूक नहीं हुई जिसकी वजह से जल्दी रिकव्हरी होती गई। उन्होंने बताया कि 4 घंटे में एक बार उल्टा लेटने से भी उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन बढ़ा।
जीवन ने बताया कि कोरोना के लक्षण दिखने पर तुरंत सैम्पल देने जाना चाहिए। डॉक्टर की देख-रेख में होम आईसोलेशन में रह सकते हैं लेकिन ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होने पर तत्काल हॉस्पिटल में एडमिट होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाना चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए। डरना नहीं चाहिए, इससे भी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनके पिता जी भी कोविड-19 पॉजिटिव थे और उन्होंने ने भी हिम्मत बनाए रखा और रिकवर हुए। कोविड-19 के मरीज सकारात्मक सोच और इलाज से इस बीमारी से मुक्त हो सकते हैं।