रायपुर. छत्तीसगढ़ में चल रही ईडी की कार्रवाई पर वार पलटवार जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लिखा कि ED ने अभी एक महीने में 50 छापे डाले हैं, क्या-क्या पाया ये क्यों नहीं बता रहे? ED एक साल से जाँच कर रही है, फिर वह जाँच राज्य सरकार को सौंप दी, हमने जाँच के आदेश दे दिए। लेकिन हमने जो चिट्ठी लिखी है चिटफ़ंड और नान घोटाले की जाँच के लिए, वो ED कब करेगी?
इसी के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने प्रेस वार्ता लेकर कहा ईडी का शिकंजा जब जब कसता है मुख्यमंत्री नान घोटाला और सीएम मैडम का डायरी में नाम का मामला उठाते हैं, जबकि उनकी ही गठित एसआईटी ने चिंतामणि चंद्राकर को सीएम बताया है। हमने नान घोटाले में तुरंत कार्रवाई करते हुए चार्जशीट दाखिल किया था और 2 अधिकारियों पर कार्रवाई की, लेकिन भूपेश बघेल सरकार आने के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया। अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ जांच के लिए 2017 में सीएम भूपेश बघेल ने पीएम को पत्र लिखा था और ईडी-सीबीआई से जांच की मांग की थी, और सरकार आने के बाद उन्हें ही संरक्षण देते हैं। नान मामले की जांच ईडी पहले ही कर रही है और दूसरे राज्य में इस मामले को ट्रांसफर की बात ईडी ही कर रही है, पर इसपर प्रदेश सरकार को आपत्ति है।
डॉ रमन ने कहा – भूपेश बघेल नान मामले में सीएम मैडम का नाम लेते हैं। उन्हें एक बार याद दिलाना चाहता हूं भूपेश बघेल सरकार द्वारा एसआईटी ने ही अपनी जांच रिपोर्ट में साफ लिखा था कि सीएम का मतलब चिंतामणि है, या तो भूपेश बघेल इस रिपोर्ट को नहीं पढ़े या वह जानते हुए भी जनता के सामने झूठ बोलने का प्रयास कर रहे हैं।
रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कार्यालय में सीएम चंद्राकर को सीएम सर के नाम से बुलाया जाना एवं लेनदेन संबंधित दस्तावेज एवं सीएम चंद्राकर होना बताया जाता है।
डॉ रमन ने ये भी कहा कि मुझपर अनुपातहीन संपत्ति का आरोप लगा है मुझे न्यायालय और आईटी डिपार्टमेंट क्लीनचिट दे चुके हैं। मेरी चरित्र हत्या की कोशिश है बस। इसलिए ऐसे मुद्दे मुख्यमंत्री उठाते हैं। चिटफंड घोटाला मामले में आरोप लगता है। लेकिन जांच में स्पष्ट हुआ है कि स्टार प्रचारकों की इसमें कोई भूमिका नहीं थी, आर्थिक लाभ प्राप्त करने में भी कोई संलिप्तता नहीं मिली। मुझे पुलिस की जांच पर भरोसा है। ग्यारहवीं बार मैं नान मामले में स्पष्टीकरण दे रहा हूं। पुलिस और फोर्स आपके पास है, साढ़े 4 साल में कार्रवाई क्यों नहीं किया?