रायपुर. पं धीरेन्द्र शास्त्री महराज के दिव्य दरबार में चमत्कार को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया सामने आई हैं उन्होंने रामकृष्ण परमहंस और बुद्ध का उदाहरण दिया और चमत्कार के सार्वजनिक प्रदर्शन पर असहमति भी जताई। सीएम का कहना हैं कि सिद्धियां होती हैं पर उनका सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। कहा कि चमत्कार दिखाना जादूगर का काम होता हैं। यह उचित नही हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस बात से इंकार नहीं किया कि लोगों को सिद्धियां नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि रामकृष्ण परमहंस और महात्मा बुद्ध की इसके उदाहरण है ऋषि-मुनियों ने भी कहा है। चंगाई सभा में भी यहीं चमत्कार है। इससे जड़ता आती है, धर्म बचाने का ठेका लेने वाले धोखे में हैं।
सीएम ने कहा जो भी आत्मसाक्षात्कार करना चाहते हैं हाथ योग करते हैं जो साधना करते हैं चाहे वह भक्ति का मार्ग हो, चाहे ज्ञान का मार्ग हो चाहे राजयोग करें चाहे कोई तंत्र करें विद्या तंत्र की बात नहीं कर रहा हूं जिस मार्ग से साधना करें उस साधक को सिद्धियां मिल ही जाती हैं सिद्धि होती है इतनी सिद्धियां मिलती हैं कि जो बीमार है आप उसको ठीक भी कर सकते हैं कोई सामान है उसे हवा में ला सकते हैं यह सारी सिद्धियां हैं मिलती हैं इस मामले में मैं दो महापुरुषों का उदाहरण देना चाहता हूं पहला रामकृष्ण परमहंस के जीवन काल में जो जो साधक है वह है उनके पास मैंने साधना की है और 25 साल मैंने साधना की और मैं पानी में चल सकता हूं और वह चौकी रामकृष्ण परमहंस गंगा नदी के किनारे उस नदी में वह पैदल चल कर बता दिए फिर मैं वापस पैदल चलते रामकृष्ण परमहंस ने पूछा कि आपने इस योग्यता को हासिल करने के लिए कितने साल लगाया बोले 25 साल लगाएं 25 साल में आप में योग साधना से आप नदी पार कर सकते हैं।
सीएम ने कहा नाव में जाने में 2 रुपए लगता है ₹2 बचाने के लिए आपने 25 साल जीवन का बेकार कर दिया दूसरी बात
भगवान बुद्ध के जीवन में भी एक महिला थी जिसका मात्र 1 पुत्र था उसकी मृत्यु हो जाती है और मृतक बच्चे की जो मां है को पता चला कि बुद्ध आए हुए हैं तो उनके पास हो जाती है कि आप तो तथागत है मेरा एकमात्र वृद्ध महिला हूं मैं मेरा एकमात्र सहारा है और इसको आप जिंदा कर दें बोले जिंदा तो हो सकता है लेकिन उन्होंने कहा कि एक शर्त है गांव में जाएं जिसके भी घर में किसी की मृत्यु ना हुआ हो उस घर से एक मुट्ठी सरसों ले आए महिला आशा से उम्मीद से हर घर पहुंचे उन्होंने कहा आपके घर में कोई मृत्यु नहीं हुई हो तुम तो मुझे एक मुट्ठी सरसों दे दीजिए दिनभर घूमती रही वह शाम को वापस आ गई वहीं आ गई उन्होंने कहा ऐसा कोई घर नहीं मिला जिसमें मृत्यु ना हुई हो
मृत्यु अनिवार्य है उसको जलाया नहीं जा सकता लेकिन उस महिला को सत्य का ध्यान हुआ और बड़ी सारिका के रूप में रोशनी सिद्दीकी सिद्धियां हैं जिससे आप साधना के क्षेत्र में सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इसको चमत्कार दिखाना नहीं चाहिए यह जादूगरों का काम है इसमें समाज में जड़ता आती है यह उचित नहीं है जितने ऋषि मुनि हुए हैं उन सब ने इनका इसको रोका है कि इस प्रकार के चमत्कार नहीं दिखाना चाहिए सिद्धियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए
दिया है इसमें कोई शक नहीं है आप जाएंगे मुसलमान जो पीर फकीर जो रहते हैं वह ताबीज देते हैं चमत्कार दे हो जाता है ईसाइयों में चंगाई सभा उसमें भी वही चमत्कार है उसमें भी चमत्कार यह भी चमत्कार तू इस चमत्कार से समाज में जड़ता आती है इसे इनवाइट करना चाहिए ज्ञान की बात है लोगों के जीवन में क्योंकि इससे कोई सामान्य बड़ा नहीं होता जोशीमठ समाप्त होने वाला है चमत्कार है तो बचा लो अब इस चुनौती को स्वीकार करेगा क्या प्रकृति के साथ अगर छेड़खानी कर रहे हो प्रकृति के विपरीत जाकर अगर कोई काम कर रहे हो तो उसे तो भोगना ही पड़ेगा समाज में यह बताना चाहिए कि हमको यह काम नियम का पालन करते हुए करना है करना चाहिए सच्चरित्र होना चाहिए सत्य के मार्ग में चलना चाहिए हमारे संत महात्मा लगातार बोलते आ रहे हैं कितनी जाति है कितने धर्म है इस धरती पर आए और मिट गए लेकिन भारत हमारा देश है और यह संस्कृति हमारी हजारों साल पुरानी है कभी समाप्त नहीं हुई इतने इतने आक्रमण हुए हैं महाभारत भी हो गया आक्रमण भी हुए लेकिन लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति जहां तक कोई खत्म नहीं कर पाया जो धर्म बचाने का ठेका लेते हैं वह धोखे में है।
और सीएम के इसी बयान पर पलटवार करते हुए सांसद सुनील सोनी ने कहा- कि शास्त्री जी का बड़ा उद्देश्य है जो छग में बड़ी तेजी से धर्मांतरण हो रहा है वो रुके। इस मुद्दे को मैंने लोकसभा में भी उठाया था। बस्तर के अंदर अदिबासी नृत्य भी विलुप्त हो रहा। यह धर्मान्तरण के कारण हो रहा है। देश से अलग करने का षड्यंत्र चल रहा है इसका हम विरोध करते है। सब अपने धर्म में वापस लौटे इसलिए धीरेंद्र शास्त्री प्रयास कर रहे है। हम उनके समर्थन में है। धर्म मंच को चुनौती देना अनैतिक है