बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल पर संशय बरकरार है। इस बिल पर सरकार और राजभवन के बीच भी सस्पेंश बना हुआ है। इन सबके बीच राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन का बयान सामने आया है। राज्यपाल ने कहा कि पिछले गर्वनर के समय का ये मामला है, जो विवादित था, जो स्थिति है, सब जानते हैं। अब इस पर बात करने का कोई औचित्य नहीं है।
वहीं सीएम भूपेश बघेल ने आरक्षण मामले में पत्रकारों के सवाल पर कहा कि पूर्व राज्यपाल ने एक घंटे में विधेयक पर हस्ताक्षर करने की बात कही थी, लेकिन किया तो नहीं। वहीं मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि आरक्षण हमारा अधिकार है, हम इसको लेकर रहेंगे।
BJP पर्दे के पीछे आरक्षण लटकाने की कोशिश कर रही- अमरजीत भगत
अमरजीत भगत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पर्दे के पीछे से छुप कर आरक्षण लटकाने का कोशिश कर रही हैम उनको यह भारी पड़ेगा। राज्यपाल को दोबारा इस पर विचार करना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में लड़ाई और तेज होगी।
सुप्रीम कोर्ट में मामला पेंडिंग
दरअसल, राज्यपाल Atal Bihari Vajpayee University के दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे. पत्रकारों से संक्षिप्त चर्चा के दौरान यह बात कही. उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में दो दिसंबर को पारित आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. पूर्व राज्यपाल अनुसुईया उइके ने उच्चतम न्यायालय में लंबित सुनवाई का हवाला देकर विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए.
किस वर्ग को कितना प्रतिशत?
बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में 1 दिसंबर को गहमागहमी के बीच आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया था. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।