मिशन 2023: डॉ चरणदास महंत अपने निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ जांजगीर चांपा विधानसभा में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के पीछे क्या हैं राज…सक्ति क्षेत्र के आदिवासी वोटर किसके साथ…लोगों ने निकाले कई मायने…

जांजगीर चांपा (संजय यादव)…नेताओं के हर एक गतिविधियों पर उनके कार्यकर्ताओं की नजर जरूर रहती हैं। नेता कहां आ रहे हैं। कहां जा रहे हैं। किनसे मिल रहे हैं। हर एक मिनट तो मिनट की जानकारी कार्यकर्ताओं को होती हैं। वही 9 अगस्त को पूरा विश्व विश्व में आदिवासी दिवस मनाया गया। जिसके चलते सभी जिले में अलग-अलग कार्यक्रम रखे गए थे. प्रदेश के अलावा जिले में जिला स्तरीय विश्व आदिवासी सम्मेलन का आयोजन किया गया। नेताओ से लेकर प्रशासनिक अधिकारी, कार्यकर्ता सभी आदिवासी वेशभूषा में नजर आए, दिखावे के लिए है सही लेकिन नेता एवं प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी वेशभूषा में खूब जच रहे थे। लेकिन, इस बीच सक्ति विधायक एवं छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉक्टर चरण दास महंत अपने निर्वाचन क्षेत्र को छोड़कर जांजगीर चांपा विधानसभ में आयोजित विश्व आदिवासी सम्मेलन में शामिल होकर सब को चौका दिए। आखिर क्या वजह रही होगी कि डॉ चरणदास महंत अपने निर्वाचन छोड़कर क्षेत्र को छोड़कर जांजगीर-चांपा विधानसभा में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। चुनावी मौसम में सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता हैं कि, अपने निर्वाचन क्षेत्र के ही जनता को रिझाया जाए या कहे हर सुख दुख में उनके साथ बैठकर उनकी बात को सुना जाए। लेकिन, ऐसा ना कर डॉक्टर महंत ने जांजगीर-चांपा विधानसभा में विश्व आदिवासी कार्यक्रम शामिल होना सही समझा। अब कार्यकर्ता एवं जनता ने इसके कई मायने निकालने शुरू कर दिए है, वह आगामी विधानसभा चुनाव को भी जोड़ कर देखने लगे हैं। क़यास लगाया जा रहा हैं कि, इस बार डॉक्टर चरण दास महंत का रुख जांजगीर चांपा विधानसभा को ओर टिकी हुई हैं। हो सकता हैं कि, इस बार सक्ति विधानसभा को छोड़कर जांजगीर-चांपा विधानसभा से वह अपना चुनाव 2023 का विधानसभा चुनाव लड़े। ऐसा लोगों में चर्चा हैं। सक्ति विधानसभा से अपने परिवार के ही किसी सदस्य को या अपने किसी करीबी को चुनाव लड़ा सकते हैं। हालांकि यह सिर्फ चर्चा हैं आने वाला समय में ही साफ हो पाएगा कि, इसमें कितनी सच्चाई हैं। यह किसी के दिमाग से नहीं उतर पा रहा हैं कि, अपना विधानसभा क्षेत्र को छोड़ दूसरे विधानसभा में डॉक्टर चरण दास महंत विश्व आदिवासी कार्यक्रम क्यो शामिल हुए।

सक्ति क्षेत्र के आदिवासी अपने विधायक को अपने खास दिन पर अपने बीच न पाकर थोड़ा थोड़ा मायूस नजर आए। सक्ति विधानसभा में अक्सर देखा जाता हैं कि, आदिवासी वोट बैंक को लेकर हमेशा वहां विवाद छिड़ा रहता हैं। सक्ति विधानसभा में आदिवासी वोट बैंक दो भागों में बटा हुआ हैं। एक गुट वरिष्ठ कांग्रेसी पूर्व मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के साथ में हैं। तो दूसरा गुट डॉ महंत के साथ हैं। जिसको लेकर दोनों नेताओं में हमेशा शक्ति प्रदर्शन होते रहता हैं। नेता क्षेत्र के आदिवासियों को अपना वोट बैंक समझती हैं। सक्ति में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह का आदिवासी वर्ग में अच्छी पकड़ मानी जाती हैं। सक्ति क्षेत्र के आदिवासी उन्हें अपना भगवान मानते हैं। जिसके कारण मौजूदा विधायक को हमेशा डर बना रहता हैं कि, कही आदिवासी वोट बैंक उनके खिलाफ ना हो जाए। इसलिए जरूरी हो जाता हैं कि, आदिवासी वोट बैंक बंधा रहे। आपको बता दें कि, सक्ति विधानसभा में आदिवासी वोटरों की संख्या भी 8 से 10 हजार हैं। जो विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अब देखना होगा कि, सक्ति क्षेत्र के आदिवासी वोट बैंक को मौजूदा विधायक कैसे अपनी और खिंच पाते हैं। हालांकि, सक्ति क्षेत्र के आदिवासी ज्यादातर डॉ सुरेंद्र बहादुर सिंह के साथ हैं।
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