अम्बिकापुर
सरगुजा जिले में परंपरागत तकनीक एवं ड्रीप फार्मिंग के जरिये सब्जी उत्पादन के लिये बेहतर तकनीक से उत्पादन बढ़ाने हेतु योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। सरगुजा एवं जशपुर क्षेत्र के उत्पादित सब्जी की मांग दूसरे राज्यों में भी है। जिले में धान एवं गेहॅू के अलावा बेहतरीन तकनीक से सब्जी का उत्पादन कर इसे भी आर्थिक प्रगति के एक बेहतर माध्यम के रूप में अपनाया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखकर धान की विलुप्त प्रजातियों को बचाने के साथ-साथ सब्जी उत्पादन के बेहतरीन तकनीक का सहारा लेकर उसे बढ़ाने हेतु इस और मैं प्रयास करना चाह रहा हूॅ, इसकी पहली शुरूआत मेरी खुद की बाड़ी से हो, इसके लिये मैं आप सभी से परंपरागत एवं ड्रीप फार्मिंग के जरिये उत्पादन के तरीकों के बारिकी को सीखने का प्रयत्न कर रहा हॅूं, ताकि जब अपनी बाड़ी में सब्जी का उत्पादन किया जाये तो इसमें आप से मिले अनुभवों के आधार पर कार्य कर सकूं। उक्त बातें आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने कल्याणपुर, डिगमा, चठिरमा क्षेत्र के कृषकों के खेतों में लगी सब्जी को देखने तथा तकनीक की जानकारी लेने के दौरान किसानों से चर्चा में कही। उन्होंने क्षेत्र के किसानों के खेतों में लगी फसलों को देखते हुए उनसे परंपरागत एवं ड्रीप फार्मिंग की जानकारी ली।
इस अवसर पर आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने आगे कहा कि खेती-किसानी के लिहाज से सब्जी का उत्पादन आज एक नये व्यापार का रूप लेता चला जा रहा है। कई बड़ी कंपनियां इस कार्य में उतर गई हैं, जो कि खुद के खेतों सहित किराये पर खेत एवं बाडियों को किसानों से लेकर सब्जी के उत्पादन का कार्य कर रही हैं, वहीं किसानों के द्वारा तैयार उत्पादन को उनके खेतों से उठा रही है और किसानों को खेतों में ही अपने उत्पादन का लाभ मिल रहा है। ऐसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरगुजा एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों में अब बहुतायत रूप में सब्जी का उत्पादन हो रहा है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अत्यधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से सब्जी का उत्पादन इस तरह से न करें कि उसमें कैमिकल पदार्थों की मात्रा ज्यादा हो और उससे सीधे-सीधे खाने वालों का इसका नुकसान हो। इसलिये आवश्यक है कि कुछ प्रमुख सब्जी के बिजों को प्रायोगिक तौर पर कुछ स्थानों में लगाकर यह जानकारी हासिल की जाये कि कहां और किस स्थान की मिट्टी में कैसी फसलें अथवा कौन-सी सब्जी बेहतर तरिके से उत्पादित की जा सकती है। ऐसे बीजों को तैयार कर परंपरागत तरीके से सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु प्रयास किया जायेगा। इस दौरान टमाटर, फूलगोभी, खीरा, अदरक, तोरई, सेम सहित बरबट्टी की फसलों को देखा तथा उसके लगाने की तकनीक की जानकारी ली। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य व सैयद् अख्तर सहित काफी संख्या में क्षेत्र के किसान उपस्थित थे।