अम्बिकापुर
नगर का सपना ट्रान्सपोर्ट नगर आज भी वीरान है। दूसरी ओर यहा गैरेज वालों को शिफ्ट करने नापखोज किये जाने की मोहल्लत मिलना आमजन पर भारी पड़ रहा है। छूट मिलने से गैरेज संचालक सारे नियम कायदों की धज्जिया उडाते हुए सड़क को ही गैरेज के काम में इस्तेमाल करने लगे है। सड़क पर भारी वाहन ऐसे खड़ा किया जाता है ।मानों यहां गैरेज वालो की जागीर हों। ऐसे में बढ़ते दुर्घटनाओं को आखिर किस तरह से रोका जा सकता है ।यह तो पुलिस प्रशासन ही समझ सकती है।सुप्रीम कोर्ट के निर्देश है कि गैरेज शहर के किनारे हो और सड़क पर बडी वाहने खडी ना की जाए । इसे लेकर तात्कालिन सीएसपी के नेतृत्व में यातायात पुलिस ने कुछ माह पहले कार्यवाई भी की थी और कई ट्रको से जुर्माना भी वसूल किया था ।इसके बाद एक बार फिर निगम की नई सरकार ने ट्रान्सपोर्ट नगर बसाने की कवायद शुरू की थी ।इसके लिए सभी गैरेज संचालकों को बुलवाया गया , बैठके हुईं । नतीजा यह यह निकला कि बिलासपुर चौक से गांधी चौक तक पहले चरण मेें गैरोजो को नाप जोख कर उन्हे ट्रान्सपोर्ट नगर में जगह दिया जायेगा ।इस बात को इतने माह हो गए । गैरेजों वालों की मिली है कि सड़क से वाहनों की कतार कम होने का नाम नहीं ले रही । नापजोख के नाम पर मिली छूट का नाजायज फायदा गैरेज वालें उठा रहे है।
अधिकारी बताते है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत गैरेज वालों को ट्रकों को सड़क तक खडे़ रखने की छूट नहीं दी गई फिर यह आलम त्यों दिखायी दे रहा है ।ज्ञात हो कि ट्रान्सपोर्ट नगर मेें जाने के लिए गैरेज वाले तैयार थे ।बस उन्हें उनके अनुसार जितनी जगह गैरेज की है। उतनी मिल जाए । गैरेज के सामने बड़ी वाहन खड़ी न करने देने की सख्ती के कारण उनका भी धंधा मंदा चल रहा था ।वे भी चाहते थे कि जल्द से जल्द उन्हें ट्रान्सपोर्ट नगर भेजें और उनका काम बेरोकटोक चलता रहे। इन सबके बावजूद निगम द्वारा दी गई मोहल्लत ने सब कुछ बिगाड़ कर रख दिया ।खैर मोहल्लत दी तो परन्तु सड़क पर बेतरतीब वाहनों को खड़े करने की इजाजत किसने दी। इससे सिर्फ और सिर्फ आमजन परेशान है। और रोज कोई न कोई दुर्घटना का शिकार हो रहे है। कब गैरेज वाले रिंगरोड़ से सिफ्ट होंगे और कब ट्रान्सपोर्ट नगर बस पाएगा यह तो भविष्य के गर्त में है परन्तु फिलहाल गैरेज वालों की इस मनमानी से कभी भी एक बडा हादसा हो सकता है।