- सूदखोरी के मामले में फंसे लोग गलत फैसला ना ले : सीएसपी
- आम लोगो से अपील उल जलूल ब्याज दर पर रुपया उधार ना ले : सीएसपी
अम्बिकापुर
सूदखोरी का मकङ जाल सरगुजा में पूरी तरह फैल चुका है । काफी लंबे समय से सरगुजा में चल रहा रुपए कमाने का ये गोरख धंधा अब लोगो के गले की फांस बन गया है । सूदखोरो के चक्कर में फंसे कई कर्जदारों ने अपना घर-द्वार भी गंवा दिया है । पुलिस की सख्ती और जांच पङताल के बाद कुछ ऐसे मामलो का खुलासा भी हुआ है। जिनमें लोग शहर से पलायन भी कर चुके है और उनका अब तक कोई सुराग नही मिला है । हालिया एक मामले मे पुलिस को सुसाईट नोट भेज कर अचानक शहर से लापता हुए एक परिवार का काफी जदोजहद के बाद पुलिस ने पता तो लगा लिया है और वे सुरक्षित भी है लेकिन सूदखोरो की दादागिरी कर्जदारो पर किस तरह हावी है इसका खुलासा इस मामले से हो गया है।
सूदखोरी का अवैध धंधा शहर में काफी पहले से संचालित है । अपनी छोटी – मोटी जरुरतो को पूरा करने लोग सूद का धंधा करने वालो से उधार तो ले लेते है पर उन्हे क्या पता कि उनके द्वारा लिया गया कर्ज किस तरह उनके लिए मुसीबत बन जाएगा । सूदखोर अपने पास पहुचने वाले ग्राहको से मिठी – मिठी बाते कर उन्हे तत्काल धन तो मुहैया करा देते है पर उसके बाद उनसे बतौर व्याज इतना पैसा वसूलते है कि कर्जदार या तो अपनी अचल संपत्ति बेचने को मजबूर हो जाता है या फिर वह आत्म हत्या करने की कगार तक पहुच जाता है । हाल ही में अम्बिकापुर के संगम चौक निवासी सुशील गुप्ता का परिवार भी इसी मकङ जाल में फंसने का बाद शहर से गायब हो गया था । हालांकि पुलिस उनका पता लगा उन्हे सुरक्षित अम्बिकापुर ले आई लेकिन इस प्रकरण के बाद सूदखोरो द्वारा की जा रही अवैध कामाई का खुलासा हो गया । इस परिवार ने भी महज कुछ लाख कर्ज के बदले इतना व्याद पटाया की वे दिन ब दिन और कर्ज के बोज में दबते चले गए। स्थिती यहां तक आई की कर्ज देने वाले ने उनका घर भी गिरवी रख लिया औऱ न्यायालय में उनके खिलाफ परिवाद भी दायर कर दिया। मजबूरन पूरे परिवार ने आत्म हत्या करने तक का निर्णय ले लिया। हालांकि पुलिस की तत्परता और सूदखोरो पर सख्ती के बाद वह परिवार तो सुरक्षित है लेकिन इस मामले के बाद शहर में सूदखोरो द्वारा किए जा रहे गोरख धंधे का खुलासा हो गया है ।अब तक उन्ही मामलो पर पुलिस संज्ञान ले पाई है जिनकी शिकायते पुलिस के पास पहुंची है । पर ऐसे हजारो मामलो का खुलासा होना अभी भी बाकी है जिनमें लोग सूदखोरो के चक्कर में फंसे तो है पर उनकी दादागिरी और धमकी के कारण वे सामने आने की हिमाकत नही कर पा रहे है ।
जीतेन्द्र शुक्ला , सीएसपी , अम्बिकापुर
सूदखोरो के खिलाफ अभियान शुरु करने वाले नगर पुलिस अधीक्षक जीतेन्द्र शुक्ला ने ऐसे मामलो के निपटारे के लिए क्या योजना बनायी है । श्री शुक्ला के मुताबिक उन्होने शहर के लोगो से एक अपील की है, सूदखोरी के मामले में फंसे लोग शहर छोडने, भागने और आत्महत्या जैसी कोशिश ना करे। साथ ही सीएसपी नें कहा है कि कोई भी व्यक्ति पहले तो किसी भी सूदखोर से मनमाने ब्याज पर रुपया ना ले। और अगर सूदखोर मनमाना ब्याज वसूलने के लिए धमकी या दबाव बनाता है। तो फिर वो पुलिस का सहारा ले। पुलिस सदैव उनका सहयोग करेगी।
इधर कर्ज देने वालो के लिए शासन नें तमाम गाइड लाईन भी जारी कर रखा है । 1937 मे बना कर्ज अधिनियम विशेष कर सरगुजा के लिए केवल किताब की शोभा बन कर रह गया है इस अधिनियम में जिलाधीश को विशेष अधिकार दिए गए है जिसमें जिलाधीश संज्ञान लेकर कर्ज एक्ट लागू करा सकता है औऱ पुलिस के माध्यम से कर्ज देने वालो पर शिकंजा भी कस सकता है । दरअसल कर्ज एक्ट के संबंध में कार्यवाही औऱ बङे खुलासे की शुरुआत कोरिया जिले से हुई जहां एसईसीएल के कर्मचारी लंबे समय से सूदखोरो के चंगुल में फंसे हुए थे। इतना ही नही इस अधिनियम में तीन माह की सजा और 5 सौ रुपए अर्थदण्ड का भी प्रावधान है । अधिवक्ता और सरगुजा वन मंडल के कानूनी सलाहकार जयप्रकाश गुप्ता ने कर्ज एक्ट के संबंध में बने प्रावधान के विषय में जो बताया वो कुछ ऐसा है।
सूदखोरी निसंदेह सरगुजा के लिए एक लाइलाज बीमारी बन गई है ।कर्ज के बोझ के तले दबे लोग इससे मुक्त होने सिसकियां भर रहे है । काफी अर्से बाद ही सही पुलिस के युवा सीएसपी ने लोगो को इससे मुक्ति दिलाने अभियान तो शुरु कर दिया है और सख्ती से सूदखोरो पर कार्यवाही भी कर रहे है पर कहीं न कहीं वे भी नियमो के दायरे में बंधे है। यदि जिलाधीश उन मामलो में संज्ञान लेकर पुलिस की मदद करते है तो निश्चित है कि कर्ज एक्ट सूदखोरो के गले की फांस बन जाएगा। अब देखना ये है की जिलाधीश इसमें कब तक संज्ञान लेते है और कब तक सूदखोरो के चंगुल में फंसे लोगो को राहत की सांस मिलती है।