चाईल्ड लाईन व महिला बालविकास भी करेगा मदद
अम्बिकापुर
गुमशुदा बालक बालिकाओं को उनके घर तक पहुंचाने व उनके परिजनों से मिलाकर उनकी मुस्कान वापस दिलाने के लिये पुलिस एक बार फिर से आॅपरेशन मुस्कान की शुरूआत करने जा रही है। पूर्व में जनवरी 2015 को पुलिस ने यह अभियान चलाकर लगभग 7 बच्चों को उनके घर वापस पहुंचाया था उसी प्रकार गुम बच्चो की संख्या बढ़ता देख पुलिस ने आॅपरेशन मुस्कान टू चलाने की मंशा बना ली है। 1 जनवरी से 31 जनवरी तक यह अभियान चलाया जायेगा।
गौरतलब है कि इस वर्ष सितंबर तक का आकड़ा देखे तो सरगुजा जिले में लगभग 200 लोग गुम हो चुके है। इसमें 114 लोगों को पुलिस ने ढूंढ निकाला परन्तु अभी भी 2014 के 43 व 2015 सितंबर तक 92 लोगों का कोई पता नही चल सका है। 2015 में 13 बालिकाओं व 3 तीन बालकों का अब तक कोई सुराग नही लग सका है। प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था मे सुधार के लिये तो हर समय कुछ ना कुछ विचार मंथन चलता रहता है लेकिन गुमने वाले बच्चों व महिलाओं सहित अन्य लोगो की पताजासी के लिये जिम्मेदार पुलिस विभाग के पास कोई कारगर योजना नही है। ऐसे मामले की जानकारी भी पुलिस बजाये आम करने के उसे छिपाने की कोशिश ज्यादा करती हैैं। जनवरी 2015 में आॅपरेशन मुस्कान के जरिये सरगुजा जिले के सभी थानों से 7 गुम बच्चों को खोजकर उनके घर पहुंचाया गया था। इसके बाद आकड़ो में लगातार वृद्धि को देखते हुये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुलिस एक बार फिर से आॅपरेशन मुस्कान टू चलाने जाने की योजना बनाई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गुमने वाले बच्चे आखिर कहा जा रहे है। रोजी रोटी की तलाश के लिये अपना घर छोडकर जाने वाले बच्चों के साथ बाहर कैसा व्यवहार किया जा रहा है। यह कई मामलो में सामने आ चुका है। मासूमों से समाज का हर वर्ग प्रेम करता है। और यदि वे कही गुमते है तो उन्हें गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की हर कोई कोशिश करता है। इसके बावजूद हजारों बच्चों का ना मिलना कई तरह के सवालों को जन्म देता है, क्या बच्चों व युवतियों की तस्करी की जा रही है। या फिर उन्हें बहलाकर महानगरों में भिक्षा वृत्ति जैसे घिनौने पेशे में ढकेला जा रहा है। पुलिस सूत्रो व पिछले रिर्काडो की माने तो सरगुजा जिले में सीतापुर व आसपास के क्षेत्र में पहले ऐसे कुछ मामले सामने आये है। देखना है कि पुलिस के साथ चाईल्ड लाईन व महिला बाल विकास की मदद से इस आॅपरेशन में कितने बच्चों की मुस्कान वापस आती है।