अम्बिकापुर
सरगुजा जिले में छात्र संघ चुनाव में लगातार मिल रही असलता …… एनएसयूआई की मजबूती के लिए नासूर बनती जा रही है। और एनएसयूआई के अलग अलग गुट एक दूसरे की टांग खींचने में लग गए है.. इसका जीता जागता उदारहण कल विश्वविद्यालय के खिलाफ शुरु किए गए हस्ताक्षर अभियान के बाद देखने को मिलने लगा है… जब एनएसयूआई का एक नेता विश्वविद्यालय की नीतियो के खिलाफ छात्रो का समर्थन हासिल करने में लगा है… तो दूसरी ओर इसी दल के चुने हुए छात्र प्रतिनिधि इस अभियान को अपनी शान के खिलाफ मान कर इसके विरोध में जुट गया है।
छत्तीसगढ में क्रांग्रेस की ही तरह एनएसयूआई के नेता भी अपने अस्तित्व की लडाई में अपने संगठन का वजूद खोते जा रहे है… दरअसल कल से इंदिरा गांधी की जयंती के दिन से एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष सचिन जायसवाल नें सरगुजा विश्वविद्यालय के कुछ तथाकथित गलत नीतियो के खिलाफ,,, अम्बिकापुर में स्थित संभाग के सबसे बडे शासकीय राजीव गांधी पीजी कालेज से एक हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की है ,, जिसमें आनलाईन फार्म भरने की प्रकिया में विसंगति के साथ पूरक ,रिवेल्युवेशन और रिचेंकिग के फार्म को एक साथ भरवाने की प्रकिया में परिवर्तन की मांग की गई है ।
लेकिन एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष की अगुवाई में जारी ये हस्ताक्षर अभियान पूरी तरह से विवादो की घेरे में आ गया है.. और हस्ताक्षर अभियान का विरोध करने वाला कोई और नही बल्कि एनएसयूआई से ही चुनाव जीत कर पीजी कालेज के छात्र संघ के अध्यक्ष बनें सतीश बारी शुरु कर दिया है… उनके मुताबिक इस कालेज की समस्या को उठाने के लिए छात्र संघ है.. और बाहरी व्यक्ति कालेज कैंपस में घुस कर अगर कोई गतिविधी करेगा ,,, तो उसके खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कराई जाएगी.. और उसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
सरगुजा विश्वविद्यालय के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से पीजी कालेज के छात्रो का मत लेने वाला छात्र नेता भी एनएसयूआई का नेता है.. और इस अभियान का विरोध करने वाला नेता भी एनएसयूआई का नेता है… ऐसे में ये साफ है कि सरगुजा जिला ,,खासकर जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में कई तुकडो में बंटी एनएसयूआई अब संगठन की मजबूती के लिए बल्कि अपने अपने अस्तित्व के लिए लडाई लड रही है…. जो शायद एनएसयूआई की सेहत के लिए ठीक नही है……