बलरामपुर-रामानुजगंज..(कृष्णमोहन कुमार)…प्रदेश में पंचायत सचिव 16 मार्च से काम बंद कलम बंद की तर्ज पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं। सचिवों की माने तो उनकी एक सूत्रीय नियमितीकरण की मांग हैं। जिसे पूर्व में पूरा करने का आश्वासन उन्हें पंचायत मंत्री से मिला था। लेकिन राज्य सरकार ने उनकी मांगों को नजर अंदाज कर दिया हैं। जिसके बाद सचिव संघ की बैठक 6 मार्च को आयोजित की गई । जिसमे निर्णय लिया गया कि 15 मार्च तक मांगे नही माने जाने की स्थिति में 16 मार्च से काम बंद कलम बंद हड़ताल करने पर विवश होंगे।
पंचायत सचिवों के हड़ताल पर जाने से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गोबर से पेंट बनाने की यूनिट को झटका लगेगा, और ऐसा इसलिए क्योंकि गौठानो में गोबर खरीदी से लेकर मल्टीएक्टिविटी तक के कार्यो में पंचायत सचिवों की भूमिका अहम रही हैं। गोबर खरीदी बंद करने की सूचना भी सचिवों ने आलाधिकारियों को लिखित में दे दी हैं। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की बात करे तो जिले के 6 विकासखण्डों में 403 पंचायत सचिव कार्यरत हैं। जिनके माध्यम से शासन की तमाम योजनाएं समाज के अंतिम पंक्ति तक के लोगो तक पहुँचती हैं।
बता दें कि, प्रदेश में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने है, और साल के अंत में होने वाले चुनाव को लेकर सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है। जिसकी एक झलक हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा में प्रस्तुत बजट में देखने को मिली हैं। वही राज्य के संविदा कर्मचारियों ने अब नियमितीकरण की मांग को लेकर काम बंद कलम बंद हड़ताल पर जाने का मन बना लिया है। ऐसे में भला राज्य सरकार का मैदानी अमला कहा जाने वाला पंचायत सचिवों का दस्ता भला कैसे शांत रहने वाला है। तो अब पंचायत सचिवों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है, और सचिवों के हड़ताल पर जाने से छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना नरवा, घुरुवा, गरवा, बाड़ी जैसी तमाम मत्वकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन अधर में लटक जाएगा।
दरअसल, प्रदेश में नियमितीकरण का यह मसला लगातार सुनने में आता रहा है, और सबसे खास बात तो यह हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में नियमितीकरण शामिल रहा है। ऐसे में नियमितीकरण के नामपर अगर प्रदेश में अनियमित कर्मचारियों का हड़ताल में चले जाना लाज़मी है।