फटाफट स्पेशल – एन एम सी ,(राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग )के अस्तित्व में आते ही एम सी आई (भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के नियम में फेरबदल कर दिया गया है जिससे अब मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को केवल मेडिकल टीचर ही पढ़ा पाएंगे पुराने नियम के अनुसार अब तक प्री एंड पैरा क्लीनिकल विषयों को पढ़ाने के लिए एनाटोमी फिजियोलॉजी बायोकेमिस्ट्री माइक्रोबायोलॉजी फार्माकोलॉजी विषय मे मेडिकल टीचर न मिलने की स्थिति में 30 से 50% नॉन मेडिकल टीचर जो कि खुद एम बी बी एस नही होते थे उन्हें ले लिया जाता था,
जिससे मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को मजबूरी में नॉन मेडिकल से पढ़ना होता था एवं उनकी बेसिक शिक्षा इससे प्रभावित होती थी क्योंकि एक नॉन मेडिकल टीचर मरीजों की बीमारियों से संबंधित विषय मे नही बता पाते हैं जिससे भविष्य के चिकित्सकों का भविष्य ही उचित दिशा में निर्धारित नही हो पाता है।
किंतु अब नए नियमानुसार मेडिकल टीचर जो कि एम डी या एम एस होते हैं और एम बी बी एस की पढ़ाई किये होते हैं उन्हें ही मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने की पात्रता होगी इसके अनुसार माइक्रोबायोलॉजी एवम फार्माकोलॉजी विषय मे अब सिर्फ मेडिकल टीचर ही पढा पाएंगे वही एनाटोमी फिजियोलॉजी बायोकेमिस्ट्री विषय के लिए यदि मेडिकल टीचर किसी भी परिस्थिति में नही मिलते हैं तब उस स्थिति में 15 % शिक्षक को लिया जा सकता है किन्तु किसी भी परिस्थिति में मेडिकल टीचर की उपलब्धता होने पर नॉन मेडिकल टीचर की नियुक्ति नही की जा सकेगी
इस नियम से चिकित्सा शिक्षा के जगत में कदम रखने वाले नए छात्रों का भविष्य उज्ज्वल होगा और भारत चिकित्सा जगत के नए आयाम देखने को मिलेंगे!इस नए नियमों को लाने में आल इंडिया प्री एंड पैरा क्लीनिकल मेडिको असोसिएशन (ए आई पी सी एम ए) ने अहम भूमिका निभाई है,
उपरोक्त जानकारी ए आई पी सी एम ए के छत्तीसगढ़ राज्य के संयोजक डॉ पीयूष भार्गव ने दी है और उम्मीद किया है कि भविष्य में यह 15 % भी नही होगा और मेडिकल कॉलेज में केवल मेडिकल टीचर ही पढ़ाते और मेडिकल छात्रों का भविष्य गढ़ते नजर आएंगे।