अम्बिकापुर. प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव अपने विधानसभा क्षेत्र उदयपुर ब्लॉक के ग्राम खम्हरिया में आयोजित स्थानीय कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम भी शामिल हुए. इस दौरान मंत्री टीएस सिंहदेव ने जनता की समस्या सुनी और कई विकास कार्यों की सौगात दी.
मंत्री सिंहदेव ने स्थानीय जनता से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना और जल्द से जल्द विभिन्न समस्याओं के निराकरण करने का आश्वासन भी दिया. इसके अलावा मंत्री टीएस सिंहदेव ने ग्राम खम्हरिया में 50 लाख के सामुदायिक भवन और ग्राम फतेहपुर में घुनघुट्टा नहर के पक्कीकरण का शिलान्यास किया. वही स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने उदयपुर में एकलव्य विद्यालय की सौगात क्षेत्र की जनता को दी। मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहां की उदयपुर की जनता ने विकास कार्य संबंधित कई मांग रखी है. इस दौरान मंत्री टीएस सिंहदेव ने लेमरू प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा बयान दिया है.
टीएस सिंहदेव का बडा बयान
लेमरू अभ्यारण को लेकर बडी समस्या सामने आ रही है. मेरे पास बार बार खबर आ रही है कि लोग लेमरू हाथी अभ्यारण से सहमत नहीं हैं. और प्रशासन का दबाव है. विभाग के लोग ग्रामीणो के पास बार बार जा रहे हैं. लोग भय मे है कि उनको शायद मंजूरी देनी पडे. श्री सिंहदेव ने आगे ग्रामीणो के पक्ष मे मीडिया से सामने कहा कि आपकी सहमति के बिना कोई भी आपकी जमीन गांव को अभ्यारण मे नहीं ले सकता है. अगर आप सहमत है तो हमको कुछ नहीं कहना. और आप सहमत नहीं है तो आपसे सरकार या कोई भी प्रबंधन जमीन और गांव नहीं ले सकता है. इतना ही नहीं टीएस सिंहदेव ने मीडिया से कहा कि ग्रामीण बिना डर भय के निर्णय ले. क्योकि लेमरू अभ्यारण का क्षेत्र पहले से काफी बडा है. और गांव और क्षेत्र की जरूरत नहीं है. ऐसे मे अगर लोग असहमति जताते हुए धरना प्रदर्शन और आंदोलन करेगें. तो मै भी उनके साथ बैठूंगा..
देखिए वीडियो-
ग़ौरतलब है कि लेमरू हाथी रिजर्व मे सरगुजा जिले के 39 गांवो को शामिल किया गया है. जिसमे 30 उदयपुर ब्लाक और 9 लखनपुर ब्लाक के गांव है. खास बात है कि ये सभी 39 गांव अम्बिकापुर विधानसभा मे आते हैं. जहां से खुद टीएस सिंहदेव तीसरी बार विधायक बनकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे है.
क्या है लेमरू प्रोजेक्ट-
लेमरू प्रोजेक्ट में एक कॉरिडोर होगा, जिसमे हाथी रहेंगे. वन विभाग इनकी निगरानी के लिए अलग से अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्त करेगा, जो हाथी की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेंगे. वन विभाग के इस काॅरिडोर में लेमरू जंगल का सबसे अधिक क्षेत्र आएगा, जो जनसंख्या बाहुल्य नहीं है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पूरे प्रदेश में इस समय 254 हाथी मौजूद है, जिसमें जशपुर जिले में वर्तमान में 48 हाथी मौजूद है. हाथी अपने रूट में ही विचरण करता है. इससे एलिफेंट प्रोजेक्ट की परिकल्पना की गई है. हाथियों का मुख्य रूट जशपुर, तपकरा, फरसाबहार, कांसाबेल, पत्थलगांव, मनोरा, बगीचा, धरमजयगढ़, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा से गुजरा है.
छत्तीसगढ़ शासन ने लेमरू एलिफेंट रिजर्व बनाने की मंजूरी दी है. इसके लिए जंगल में बसे 140 गांवों को विस्थापित किया जाएगा. जानकर बताते हैं कि विस्थापितों को 10 लाख मुआवजा दिया जाएगा.
विस्थापित परिवार मुआवजा की जगह घर चाहेगा तो उसे 5 एकड़ जमीन और 50 हज़ार नगद सरकार देगी. वन अधिकारी के अनुसार अगर ग्रामीण स्वेच्छा से विस्थापित होने को तैयार होंगे तो उन्हें विस्थापन नीति के तहत मिलने वाले सभी लाभ दिए जाएंगे. उनके लिए ऐसी कालोनी तैयार होगी, जिसमे स्कूल, चिकित्सालय सभी सुविधाएं होगी. लेमरू एलिफेंट रिजर्व में 195 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आएगा.
जिसमे जशपुर का बादलखोल अभयारण्य, बलरामपुर का तमोरपिंगला, सूरजपुर का सेमरसोत और कोरबा जिले का लेमरू वन क्षेत्र पड़ेगा. इसके लिए अलग से अधिकारी, कर्मचारी तैनात किए जाएंगे. हाथियों के लिए इस रिजर्व फारेस्ट में चारा पानी की व्यवस्था होगी, जिससे हाथी यही रहेंगे बाहर नहीं जाएंगे. इससे जनहानि और ग्रामीणों के संपति को कम नुकसान पहुंचेगा.