कवर्धा. छत्तीसगढ़ का पहला एथेनॉल प्लांट कवर्धा में बनकर लगभग तैयार हो चुका है। एथोनॉल प्लांट से जिले के किसानों को लाभ होगा साथ ही यहां के स्थानीय पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी दिया जाएगा और शहर का विकास होगा।
प्रशासनिक सूत्रों की माने तो इसी साल मार्च में प्लांट से एथेनॉल बनना शुरू हो जाएगा। भोरमदेव शक्कर कारखाने से मोलासिस (गन्ने से शक्कर बनने के बाद शेष तरल पदार्थ) को एथेनॉल प्लांट के टैंकों में स्टोर करना शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि बी- हैवी मोलासिस से प्लांट में एथेनॉल बनेगा। जानकारी के मुताबिक 1 टन बी- हैवी मोलासिस से 300 लीटर तक एथेनॉल बनाया जा सकता है। सीजन में भोरमदेव कारखाने में गन्ना पेराई के बाद करीब 17 हजार टन मोलासिस उत्पादन होता है। जबकि प्लांट की आवश्यकता इससे ज्यादा की है। कारखाने में जितना मोलासिस उत्पादन होगा, उससे प्लांट का काम सिर्फ 3 महीने तक ही चल सकता है। क्योंकि एथेनॉल प्लांट की क्षमता रोजाना 80 किलोलीटर उत्पादन होगा। इस लिहाज से पूरे सीजन में कारखाने से 17 हजार टन मोलासिस मिलेगा, 51 लाख लीटर एथेनॉल बनाया जा सकता है। प्लांट को चलाने के लिए शेष रॉ मटेरियल की आपूर्ति बिशेसरा स्थित नए शक्कर कारखाने से भी आपूर्ति किया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा।
लगातार इस प्लांट को मोनिटरिंग कर रहे कवर्धा कलेक्टर जन्मये जय महोबे ने बताया कि यह प्लांट बहुत जल्द बनकर तैयार हो जाएगा, दिसम्बर 2022 तक पूरा करना था लेकिन कोरोना काल के समय काम बंद था इसलिए देरी हुई। औऱ अब काम तेजी गति से चल रहा है। कोशिश रहेगी कि 31 मार्च या अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा हो जाएगा। इसके लायसेंस का काम भी चल रहा है।