जशपुर। हरेली त्यौहार के अवसर पर जशपुर विकासखंड के बालाछापर और पत्थलगांव विकासखण्ड के बहनाटांगर गौठान में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना गौमूत्र खरीदी का शुभारंभ किया गया था। इसी कड़ी में गौठानों के माध्यम से गौमूत्र की खरीदी निरंतर की जारी है। पशुपालन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बालाछापर गौठान में अब तक समूह द्वारा 14 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई है और 7 लीटर गौमूत्र उत्पादन तैयार किया गया है। इसी प्रकार पत्थलगांव विकासखण्ड के बहनाटांगर में 10 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई है।
गौरतलब है कि महिलाओं को गांव में ही आर्थिक मजबूती देने के लिए गोठान को मिनी उद्योग के रूप में विकसित किया गया है। पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों द्वारा समूह की महिलाओं को गौमूत्र से जैविक कीटनाशक बनाए जाने की विधि के संबंध में जानकारी दी जा रही है। विभाग द्वारा बताया जा रहा है कि 10 लीटर गौमूत्र में 2 से 3 किलोग्राम नीम पत्ती, 2 किलोग्राम सीताफल की पत्तियां, 2 किलोग्राम पपीता की पत्तियां, 2 किलोग्राम अमरूद की पत्तियां, 2 किलोग्राम करंज की पत्तियां को उबालकर उसे छानने के उपरांत बोतल में पैकिंग किया जाता है।
इसी प्रकार उन्होंने बताया कि जीवामृत बनाने हेतु 10 लीटर गौमूत्र में 200 लीटर पानी तथा 10 किलो गोबर 1 किलो गुड़, 1 किलो बेसन, 250 ग्राम मिट्टी मिलाकर 48 घंटे तक छाया में रखने के अंतराल में 4 से 5 बार डंडे से चलाने के उपरांत जीवामृत तैयार कर लिया जाता है। जिसे बोतल में पैकिंग करके 7 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है।