धमतरी। जिले का सेमरा गांव वैसे तो आम गांवों जैसा है, लेकिन यहां के रिवाज इसे सबसे अलग करते हैं। बता दें कि यहां होली पर्व समय से सात दिन पहले ही मना लिया जाता है। मान्यता है कि समय पर पर्व मनाने से गांव पर विपदा आन पड़ती है। इस मान्यता के पीछे एक अजीबोगरीब किंवदंती भी है।
भारत में होली फाल्गुन अमावस्या को मनाई जाती है, जो कि इस साल 29 मार्च के दिन है। लेकिन धमतरी के सेमरा गांव में 22 मार्च को ही रंगोत्सव हो गया। यह पहली बार नहीं बल्कि हर साल ऐसा ही होता है। लोग बताते हैं कि ये सदियों से चला आ रहा है। होली से सात दिन पहले इस गांव में हर तरफ रंग गुलाल, नगाड़े और पिचकारी दिखाई देती हैं। छत्तीसगढ़ी फाग गीतो को गाते, नगाड़ा बजाते झूमते हुए ग्रामीण देखने को मिलते हैं, तो गलियों में बच्चे रंग खेलते नाचते हुए उत्सव मनाते हैं। गांव के ध्रुव कुमार सिन्हा और मरारी ने बताया कि सेमरा की होली में ग्रामीणों के रिश्तेदार भी दूसरे गांवो से आते हैं और होली के उत्सव में शामिल होते हैं।
सिर्फ होली ही नहीं बल्कि सभी त्यौहार यहां समय से सात दिन पहले ही मना लिये जाते हैं। इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प मान्यता है। गांव के योगेश्वर निषाद और रूप कुमार ने अपने बुजुर्गों से सुनी हुई किंवदंती के बारे में बताया,’ काफी पहले गांव में महामारी आई थी। बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई थी, तब गांव के मुखिया के सपने में गांव के आराध्य सिदार देवता ने दर्शन देते हुए कहा कि आज के बाद सारे त्यौहार सात दिन पहले मनाना। हर त्यौहार में गांव के सिदार देवता की पहले पूजा करना। अगर एसा नहीं किया तो फिर से महामारी या कोई दूसरा संकट आएगा।’ बस तभी से ये परंपरा शुरू हो गई। गांव के बीचों बीच बने सिदार देवता के मंदिर में पूजा पाठ के बाद यहां कोई भी पर्व या शुभ काम शुरू किया जाता है।
यही नहीं, यह बात कितनी सच है या फिर कितनी काल्पनिक है इसकीपरवाह किये बिना गांव की नई पीढ़ी भी अपने पूर्वजों की बनाई परिपाटी को न सिर्फ स्वीकार करती है बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी आगे भी बढ़ाते चली आ रही है।