अम्बिकापुर
2015 में नशे के कई बड़े कारोबारी जेल दाखिल
अम्बिकापुर, 2 जनवरी । सरगुजा की पुलिस को वर्ष 2015 में एनडीपीएस के कई बड़े मामलों में सफलता मिलने से शहर की फिजा में ब्राउन शुगर व गांजा की गंध आनी कम हुई है। कहा यह भी जा सकता हैं कि नशे के इन बड़े कारोबारियों के जेल चले जाने के बाद इन कारोबार पर काफी हद तक पुलिस ने अंकुस लगा दिया है। वर्ष 2015 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुन्दरराज पी के बाद वर्तमान सरगुजा पुलिस अधीक्षक आरएस नायक द्वारा नशे को लेकर छेड़े गये अभियान को क्राइम ब्रांच व जिला बल पुलिस ने साकार किया है। एक साल के अंतराल में ही लगभग 22 लाख से ज्यादा का ब्राउन शुगर व गांजा नगर सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों से पकड़ा गया है। यही नहीं नगर में ब्राउन शुगर का कारोबार करने वाले लगभग बड़े कारोबारी को पुलिस ने न सिर्फ जेल तक पहुंचाया बल्कि उन्हे न्यायालय द्वारा सजा भी दी गई है। वर्तमान में ब्राउन शुगर व गांजा के कारोबारी नही ंके बराबर है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में कोतवाली थाने में 5 ब्राउन शुगर के बड़े मामले पकड़े गये है। यह सभी एक लाख से उपर व कुछ तो 9 लाख तक के सामने आ चुके है। इसी तरह गांधीनगर थाना क्षेत्र में ब्राउन शुगर के 2 बड़े मामले पकड़े गये है। इसके अलावा इन दोनों थानों सहित जिले के अन्य थानों में गांजा व ब्राउन शुगर की कई छोटी कार्यवाही वर्ष भर होती रही है। एक ओर जहां पुलिस ने ब्राउन शुगर व गांजा के कारोबारियों पर कार्यवही करते हुये उनकी कमर तोड़ दी है। तो वहीं अभी भी कई युवा इन नशो के गिरफ्त से अपने आप को दूर नहीं कर पाये है। शहर में ब्राउन शुगर का नशा नहीं मिल पाने की वजह से अब नशे के शौकिन खुद ही पड़ोसी राज्य बिहार व झारखंड जाकर अपने नशे की लत पूरी करते है। यह कहना हमारा नहीं बल्कि क्राइम ब्रांच का है। फिलहाल इन नशों के लिए माने जाने वाला शहर का क्षेत्र सत्तीपारा, ब्रम्हपारा, जोड़ा तालाब, मिशन चैक, दर्रीपारा सहित गांधीनगर क्षेत्र काफी शांत हो चुका है।
अवैध शराब का कारोबार जोरो पर
नगर में शराब माफियाओं के हौसले बुलंद हो गये है, सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीने पर लगे प्रतिबंध के बाद भी ठेकेदार के कोचियों ने बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन, सब्जी बाजार यहां तक की अस्पताल के आसपास ठेलों व ढ़ाबों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। शाम ढलते ही ठेकेदार के आदमी इन स्थलों पर शराब की बोतलें पहुचवा देते है जो देर रात तक बेची जाती है। ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है पर धनदेवी के माया के सामने पुलिस प्रशासन भी पंगु बन जाती है। छ.ग. के सबेसे खुबसूरत रेल्वे स्टेशन अम्बिकापुर के आसपास का इलाका भी इस महारोग के चपेट में है। स्थानीय रेल्वे स्टेशन के पास लोगों को दवा भले न मिले लेकिन शराब आसानी से मिल जाती है। ठेले व झोपडि़यों में दुकान चलाने वाले लोग यहां शराब की बिक्री करते है। इलाका शांत है इसलिए पीने व पिलाने वाले बेखौफ रहते है। पुलिस को इसकी खबर है लेकिन वह कार्यवाही नहीं करती है। लोगों का कहना है कि कारोबार से गरीब परिवारों की रोजी-रोटी जुडी हैं लेकिन उनके पीछे शराब ठेकेदार है जो पुलिस की जेबे भरकर क्षेत्र के इस शांत इलाके को शराब का गढ़ बनाने के साथ-साथ नई पीढ़ी को बर्बाद कर रहे है। शराबियों की यहां की महफिल में ज्यादातर भीड़ युवकों की होती है। विडंबना ही है कि संभाग के इस माॅडल स्टेशन के पास दवा से पहले शराब बिकने लगी है। शराबियों को यहां आसानी शराब मिल जाती है। यात्रियों के अलावा शहर से बड़ी संख्या में शराबी युवक शराब पीने के लिए पहुंचते है। स्टेशन के आस पास के क्षेत्र के टपरीनुमा होटल, ठेले शराबियों के अड्डे है।