अम्बिकापुर
शहर के बहुचर्चित वंसुधरा कुंडला काॅलोनी के संदर्भ में काॅलोनी वासियों और बिल्डर को राहत देते हुये बिलासपुर उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने अपने उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें राज्य शासन के आदेश का अनुपालन कराने हेतु कहा गया था। राज्य शासन के आदेश में 7.8.2008 के बाद के निर्माण कार्य को अवैध माना गया था। उच्च न्यायालय के उक्त आदेश से शहर की महत्वपूर्ण काॅलोनी के रहवासियों और नगर में भय व्याप्त था कि यह काॅलोनी गिरा दी जायेगी।
काॅलोनाइजर के.एन. सिंह और काॅलोनी वासियों में से अमित अग्रवाल, श्रीमती किशोरी शर्मा, सतीश अग्रवाल, मनोज अग्रवाल और अशोक कुमार गोयल की ओर से चीफ जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस पी. सैमकोसी की डबल बेंच में अधिवक्तागण संजय परांजपे, संतोष सिंह, सुनील मोटवानी, सतीश चंद्र वर्मा और अमृतो दास ने यह दलील पेश की कि राज्य शासन द्वारा आदेश करने के दौरान काॅलोनाइजर के.एन. सिंह और काॅलोनी वासियों के पक्ष को सुना नहीं गया था और न.पा. अधिनियम की धारा 293 और 300 के प्रावधानों का ख्याल नहीं रखा गया था, जिसमें अनुज्ञा तिथि से तीन वर्ष तक के समय तक निर्माण कार्य करने का प्रावधान है। इस समयावधि से पूर्व ही काॅलोनाइजर द्वारा दिनांक 3 जनवरी 2010 और 31 जनवरी 2011 को समयावृद्धि (एक्सटेंशन) का आवेदन दिया जा चुका था। इन आवेदनों के आधार पर अम्बिकापुर नगर निगम ने काॅलोनाइजर को पत्र लिखकर 3 अगस्त 2011 तक बने भवनों को वैध माना था और इसके बाद के निर्माण के लिए पुनः अनुज्ञा लेने को कहा जिसे विधिवत् प्राप्त किया गया।
याचिकाकर्ता के.एन. सिंह और काॅलोनीवासियो की ओर से अधिवक्तागण ने डबल बेंच के सम्मुख यह साक्ष्य भी प्रस्तुत किया कि अतुल दुबे और आलोक दुबे ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष गलत जानकारी और झूठा शपथपत्र प्रस्तुत कर एक पक्षीय आदेश प्राप्त किया था। उक्त व्यक्तियों ने यह झूठा शपथपत्र प्रस्तुत किया था कि राज्य शासन ने आदेश के विरूद्ध काॅलोनाइर के.एन. सिंह की कोई रिट हाईकोर्ट में निरस्त हो चुकी है, जबकि के.एन. सिंह के अधिवक्तागण यह बताने में सफल रहे कि ऐसी कोई रिट लगाई ही नहीं गई थी तो उसके खारिज होने का प्रश्न ही नहीं है। अतुल दुबे एवं आलोक दुबे के इस आरोप को भी माननीय डबल बेंच ने निराधार पाया जिसमें उन्होने काॅलोनाइजर के.एन. सिंह द्वारा सभी मानचित्र आदि गलत ढंग से पास कराने की बात कही गई थी। डबल बेंच द्वारा उच्च न्यायालय के पूर्व आदेश को निरस्त करने से वसुंधरा कुंडला काॅलोनी के निवासियों और काॅलोनाइजर के.एन. सिंह ने आभार एवं प्रसन्नता व्यक्त की है।